जम्मू। कश्मीर में आतंकियों के हमले में शहीद हुए पुलिसकर्मी अब्दुल करीम शेख की अंतिम यात्रा में लाखों लोगों ने शरीक होकर ना केवल शेख को श्रद्धांजलि दी, बल्कि उन आतंकी संगठनों को भी करार जवाब दिया, जो जिहाद के नाम पर लोगों को बगलाकर गाहे-बगाहे अशांति फैलाने में लगे हुए हैं। शनिवार शाम आतंकी हमले में शहीद हुए पुलिसकर्मी पुलिस कर्मी शेख की मौत के बाद दक्षिण कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के लोगों में जबरदस्त गुस्सा है। यह अशांति हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के पांच माह देखने को मिली। पिछले कुछ माह से आतंकवादियों की मौत पर लोगों का हुजुम उमड़ता था लेकिन शहीद अब्दुल करीम शेख की अन्तिम यात्रा में लाखों लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। शेख के नजदीकी रिश्तेदार अब्दुल कबीर ने कहा, कि जिसने भी अब्दुल करीम को मारा है, मैं उसे कभी भी मुजाहिद नहीं कहूंगा। मैं स्पष्ट रूप से कह रहा हूं। फिर चाहे परिणाम कुछ भी हो। यह आतंकवाद है और इसे रोका जाना चाहिए। आतंकियों की मौत पर उमड़ती भीड़ ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार की नींद उड़ा रखी थी। जुलाई बाद पुलिसकमि$यों को निशाना बनाया जा रहा है। पड़ोसी रईस शेख का कहना है कि यदि वे जिहाद के नाम पर किसी को मारते हैं तो हम उसे स्वीकार नहीं करते। गांव के मोहम्मद जमाल ने कहा, यह जेहाद नहीं है। यह इस्लाम के खिलाफ है। लोगों का कहना था कि शेख ने कभी भी किसी को परेशान नहीं किया और हमेशा जरूरतमंदों की मदद करते थे।

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