Jantar-Mathar Observatory, UNESCO World Heritage, crisis, Archeology Department.
Jantar-Mathar Observatory, UNESCO World Heritage, crisis, Archeology Department.

जयपुर। यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल जंतर-मंतर वेधशाला का अस्तित्व और विश्व धरोहर का दर्जा संकट में है। ग्रह-नक्षत्रों की सटीक गणना के लिए देश-दुनिया में विख्यात जंतर-मंतर वेधशाला के अस्तित्व पर यह संकट पुरातत्व विभाग के अफसरों के लालच से खड़ा हो गया है। धन के लालच में संरक्षित जंतर-मंतर वेधशाला की दीवारों से सटकर दुकानें बन गई, लेकिन वेधशाला की अधीक्षक शशिप्रभा और दूसरे कर्मचारी सोते रहे। अब टिकट विण्डो के पास शोरुम बना रहा है।

लिखित शिकायत कर दी, फिर भी लालच के फेर में कुंभकर्णी नींद में सोए हुए हैं अफसर-कर्मचारी। यह स्थिति तो तब है, जब एक दर्जन से अधिक होमगार्डस का जाब्ता वेधशाला में है और इन पर लाखों रुपए वेतन पर दिए जा रहे हैं। वेधशाला के पास ही पर्यटन सहायता पुलिस की चौकी है। इसके बावजूद ना तो इन्हें अतिक्रमण होते दिख रहा है और ना ही लिखित शिकायत के बाद वेधशाला अधीक्षक शशिप्रभा, पुरातत्व विभाग के निदेशक ह्रदेश कुमार शर्मा कोई एक्शन ले पा रहे हैं।

ऐसे अतिक्रमणों और कब्जों से चाहे जंतर-मंतर वेधशाला का विश्व धरोहर का दर्जा ही खत्म हो क्यों ना हो जाए। विरासत पर खतरा देख एक बार सिटी पैलेस संग्रहालय की गाइड यूनियन के गाइड़ों ने यहां काम बंद करवाया था और पुलिस बुला ली थी। लेकिन जंतर-मंतर वेधशाला में इतने होम गार्डस और टैफ के जवान होने के बाद भी दुकानों और शोरुम पर रोक नहीं लगा पा रही है। दीवारों से सटकर बनाए जा रहे इन अवैध निर्माणों में कोई रुकावट नहीं आए, इसके लिए लाखों रुपयों की बंदरबांट हुई है, जिसमें पुरातत्व विभाग, जंतर-मंतर वेधशाला, पुलिस थाना और नगर निगम के अफसर-कर्मचारी तक शामिल हैं। उधर, इस अवैध निर्माण और अतिक्रमण को लेकर वल्र्ड हेरिटेज गाइड यूनियन के अध्यक्ष ब्रजमोहन खत्री ने पुरातत्व व पर्यटन के प्रमुख शासन सचिव कुलदीप रांका को लिखित शिकायत दी है, साथ ही लोकायुक्त में परिवाद दाखिल किया

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