भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में केंद्रीय कारागार से भागे प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आॅफ इंडिया (सिमी) के आठ कार्यकतार्ओं के मुठभेड़ में मारे जाने की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से न कराए जाने पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी किए जाने के बाद सियासत गर्मा गई है। कांग्रेस ने जहां मुठभेड़ में कुछ गड़बड़ी होने की आशंका जताई है, वहीं सरकार ने न्यायिक जांच जारी होने का हवाला दिया है। ज्ञात हो कि दीपावली की रात सिमी के आठ कार्यकर्ता भोपाल के केंद्रीय कारागार में एक कर्मचारी की हत्या कर फरार हो गए थे। उन सभी आठों कार्यकतार्ओं को पुलिस ने अगले ही दिन मुठभेड़ में मार गिराया था। सरकार ने इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। पुलिस मुठभेड़ में मारे गए कार्यकर्ता के परिवार की ओर से मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र व राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर पूछा है कि उसी समय जांच सीबीआई को क्यों नहीं सौंपी गई? क्यों न अब जांच सीबीआई को सौंप दें। इस नोटिस पर चार सप्ताह में सरकारों को जवाब देना है। सर्वोच्च न्यायालय के नोटिस के बाद मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने संवाददाताओं से कहा, मुठभेड़ की जांच सीबीआई से ही करानी चाहिए थी, मगर दाल में कुछ काला है, इसीलिए सरकार सीबीआई जांच नहीं कराना चाहती। अब सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है इसलिए जांच सीबीआई को सौंप देना चाहिए। वहीं राज्य के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा, मुठभेड़ की न्यायिक जांच चल रही है, इसलिए उसे सीबीआई को नहीं सौंपा गया। जहां तक सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश की बात है तो वह नियमित प्रक्रिया है और सरकार अपना पक्ष सर्वोच्च न्यायालय के सामने रखेगी।

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