जयपुरर। सिटी पैलेस में आयोजित किए जा रहे ह्यहिस्ट्री फेस्टिवलह्य के दूसरे दिन लगभग 30 स्कूलों के 1,000 से अधिक स्टूडेंट्स ने भाग लिया। चार दिवसीय यह फेस्टिवल महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है।पैलेस स्कूल के स्टूडेंट्स द्वारा राजस्थान के प्रसिद्ध लोकगीत ह्यकेसरिया बालम की संगीतमय प्रस्तुति के साथ दूसरे दिन की शुरूआत हुई। इसके बाद सुबोध पब्लिक स्कूल, एयरपोर्ट के स्टूडेंट्स की ओर से कबीर के दोहे प्रस्तुत किए गए। महाराजा सवाई भवानी सिंह स्कूल के स्टूडेंट्स द्वारा जयपुर पर आधारित गीत, सूफी गीत एवं मीरा का भजन प्रस्तुत किया गया। इसके बाद शांति एशियाटिक स्कूल की ओर से भारतीय महाकाव्य ह्यमहाभारतह्य की प्रस्तुति दी गई। इस प्रस्तुति में स्टूडेंट्स ने कृष्ण एवं दुर्योधन जैसे पात्रों के रूप धरकर उनके तर्क-वितर्क का बेहतरीन अभिनय किया।
फेस्टिवल में गत वर्ष मंचित किए गए नाटक ह्यतक्सीमह्य की अत्यधिक मांग को देखते हुए सेंट एंसलम स्कूल के स्टूडेंट्स इस बार भी यह नाटक प्रस्तुत किया गया। सभी से इस नाटक को भरपूर सराहना मिली। ह्यतक्सीमह्य का अर्थ ह्यविभाजनह्य होता है। इस नाटक के जरिए भारत-पाकिस्तान के विभाजन के दिन (16 अगस्त 1947) के बाद लोगों की दुर्दशा को दषार्या गया। इस मार्मिक प्रस्तुति में विभाजन के दौरान प्रवासी शरणार्थियों द्वारा झेली गई हिंसा का चित्रण किया गया। यह नाटक ह्यहिस्ट्री फेस्टिवलह्य के अंतिम दिन, 15 दिसम्बर को भी मंचन किया जाएगा।
रुक्मणी बिड़ला स्कूल के स्टूडेंट्स ने ह्यदषावतारह्य की नृत्य प्रस्तुति दी और डीपीएस सेक्शन 45, गुड़गांव के स्टूडेंट्स द्वारा ह्यवुमनह्य एवं ह्यगणेषह्य कथक प्रस्तुतियां दी गई। इसमें स्कूल की बालिकाओं ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति एवं कोरियाग्राफी के जरिए उपस्थित दर्षकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। दूसरे दिन के अंत में पैलेस स्कूल की प्रिंसिपल, श्रीमती उर्वशी वारमेन और एसएमएस स्कूल की इतिहास की पूर्व शिक्षका, श्रीमती उपमा माथुर द्वारा स्टूडेंट्स को प्रतिभागिता के सर्टिफिकेट वितरित किए गए। फेस्टिवल के दौरान लगाई गई लाइव एग्जीबिषन में आज भी बड़ी संख्या में टीचर्स एवं स्टूडेंट्स ने भाग लिया। इन्होंने एग्जीबिषन में प्रदर्षित की जा रही पेंटिंग्स, ऐतिहासिक ग्रंथों, प्रसिद्ध ऐतिहासिक व्यक्तियों के लाइव पेंटिंग्स, 3डी मॉडल, रेवोलुशन, आरटीएम-ई मॉडल, ब्लू पॉटरी टाइल्स और प्रसिद्ध ऐतिहासिक व्यक्तियों के ट्रैवलॉग में गहरी दिलचस्पी दिखाई।