- राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। करीब छह महीने से कांग्रेस पूरे आक्रामक मूड में चल रही है। संसद का शीतकालीन सत्र हो या नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार और भाजपा नेताओं पर आक्रामक रवैये के साथ प्रहार की बात है। कांग्रेस का अलग ही चेहरा दिख रहा है। खुद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के तेवर भी खासे तीखे दिख रहे हैं। मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने का एजेण्डा हो या सरकार की विफलताओं व वादों से मुकरने को लेकर किए गए जुबानी हमलों की बात राहुल गांधी एक मंझे हुए नेता की तरह सामने आ रहे हैं। नोटबंदी को लेकर घोटाले, भ्रष्टाचार और जनता की परेशानी के संबंध में कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर पर हुए धरने-प्रदर्शनों से इस पार्टी में नया जोश भरने का काम हुआ है। आज भी हर जिले में ऐसे धरने-प्रदर्शनों में सभी नेता और कांग्रेस कार्यकर्ता बढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। अलग-अलग धड़ों में बंटी कांग्रेस में एकजुटता दिखाई दी है। कुछ महीनों में कांग्रेस में दिखी इस आक्रामकता और पैनेपन को देखकर हर किसी के मन में यह बात सामने आ रही है कि आखिर क्या जादू हो गया। इस कायापलट के पीछे गांधी परिवार की एक सदस्य का खासा योगदान बताया जा रहा है। वो है प्रियंका गांधी। प्रियंका गांधी ने अपने भाई राहुल गांधी की कांग्रेस में ताजपोशी के साथ आक्रामक नेता के तौर पर पहचान दिलाने के लिए अंदरखाने कार्य शुरु कर दिया है। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में जान फूंकने और चुनाव में जीत हासिल करने के लिए यह पूरी कवायद की जा रही है। इसमें सभी वरिष्ठ नेताओं का भी सहयोग मिल रहा है। कांग्रेस के हर कार्यक्रम की रुपरेखा तय होने से पहले प्रियंका गांधी उन्हें देखती है और उसके बाद ही वे कार्यक्रम तय होते हैं।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी बीमारी के चलते अब पार्टी की कमान राहुल गांधी के हाथों में सौंप चुकी है। खुद राहुल गांधी भी कांग्रेस की बैठकों व कार्यक्रमों में इसे लीड करते देखे जा चुके हैं। कभी भी राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष पद पर ताजपोशी करके पूरी तरह से कमान सौंपी जा सकती है। इस पूरे कार्य को करवाने के लिए प्रियंका गांधी लगी हुई है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच प्रियंका भैय्याजी के नाम से मशहूर हैं तो कांग्रेस नेता उन्हें पीजी निकनेम से बुलाते हैं। पहले मात्र अमेठी और रायबरेली तक सीमित रहने वाली प्रियंका अब पूरी तरह से सक्रिय हो गई है। राष्ट्रीय मुद्दों हो या राहुल गांधी के भाषण व कार्यक्रम, सबमें प्रियंका नजर रखती है। यहीं नहीं नेताओं की पार्टी में ज्वाइनिंग, राज्यों में विधानसभा चुनावों की रणनीति में भी बराबर राय-मशविरा देने लगी है। नोटबंदी पर राहुल गांधी की सक्रियता और आक्रामकता के साथ देश भर में रैलियां, धरने-प्रदर्शन में पर्दे के पीछे से प्रियंका गांधी की ही सोच रही है और कमान भी संभाल रखी है। सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खडग़े, गुलाम नबी आजाद और ऑस्कर फ र्नाडीज सरीखे नेताओं के साथ मीटिंग करके रणनीति तैयार करती है। बताया जाता है कि नोटबंदी पर कांग्रेस की बनी कमेटी में चेयरमैन अहमद पटेल और को-चेयरमैन ऑस्कर फर्नाडीज है, लेकिन किसी फैसले पर अंतिम निर्णय लेने से पहले प्रियंका गांधी की राय ली जाती है। उनकी सहमति के बाद ही कार्यक्रम तय होते हैं। अंदरखाने प्रियंका कांग्रेस और भाई राहुल के लिए के लिए चाणक्य की तरह रणनीति को अंजाम देने में लगी है। अब देखना है कि प्रियंका-राहुल गांधी की यह जोड़ी अपने इरादों में सफल हो पाती है या नहीं। कभी एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस पार्टी को फिर से देश में खड़ा कर पाती है या नहीं। साथ ही लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी को मजबूती, एकजुटता और चुनाव में करिश्माई प्रदर्शन कर पाती है या नहीं। वैसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि जिस आक्रामक तरीके से गांधी परिवार की इस भाई बहन ने जोड़ी ने मोदी सरकार को घेरा है और कांग्रेस के बैनर तले पार्टी को देश भर में प्रदर्शन करवाए हैं, उसे देखकर लगता है कि पार्टी का भविष्य सुरक्षित हाथों में है।
– पार्टी को फायदा
राहुल-प्रियंका गांधी की इस जोड़ी के आक्रामक रवैये और प्रियंका गांधी के राष्ट्रीय स्तर पर सक्रियता को देखकर पार्टी नेताओं का मानना है कि इसका फायदा पार्टी को मिलेगा। प्रियंका के सक्रिय होने से पार्टी व कार्यकर्ताओं में नई जान आएगी, साथ ही उत्तरप्रदेश में भी पार्टी को मजबूती दिखेंगी। प्रियंका के सक्रिय होने से महिला व युवा वर्ग में पार्टी का आकर्षण बढ़ेगा। हालांकि अंदरखाने यह भी चर्चा है कि प्रियंका के सक्रिय होने से कांग्रेस में फिर से दो पावर सेंटर बन सकते हैं। हालांकि अभी यह नहीं दिख रहा है, लेकिन राजनीति में कुछ भी होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। क्योंकि प्रियंका का करिश्माई व्यक्तित्व राहुल गांधी पर भारी पडऩे के अंदेशे जताए जा रहे हैं। हालांकि फिलहाल तो प्रियंका अपने भाई राहुल गांधी व कांग्रेस पार्टी को फिर से केन्द्र की राजनीति में सिरमौर बनाने के प्रयासों में लगी है।
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