कुछ आर्थिक अपराधियों ने आर्थिक सुधारों में सुविधा का अनुचित लाभ उठाया, उद्योग संघों का उत्तरदायित्व है कि वे ऐसे तत्वों को अलग थलग करें:एम वेंकैया नायडू
delhi. उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज उद्योग संघों से अपेक्षा की कि वे आर्थिक और व्यावसायिक नैतिकता का उल्लंघन, आर्थिक अपराध करने वाले व्यावसायियों को अलग थलग करें। उन्होंने टाटा समूह की व्यावसायिक नैतिकता तथा सामुदायिक निष्ठा की सराहना करते हुए कहा कि निजी क्षेत्र को व्यावसायिक नैतिक आदर्श के ऊंचे मानदंड स्थापित करने चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि कुछ व्यवसायियों द्वारा आर्थिक सुधारों और सरल प्रक्रियाओं का गलत लाभ उठाया जिससे सुधार प्रक्रिया के प्रति संशय उत्पन्न हुआ। उन्होंने आर्थिक सुधारों को राष्ट्र में संपदा और समृद्धि के निर्माण के लिए अपरिहार्य बताया। उन्होंने निजी क्षेत्र से आह्वाहन किया कि बदलती हुई टेक्नोलॉजी और बढ़ते ऑटोमेशन के दौर में वे अपने कार्मिकों को भविष्य की नई तकनीकों में प्रशिक्षित करें। उन्होंने कहा कि भविष्य के कर्मियों को एक नए कार्य परिवेश में काम करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना जरूरी है जिसमें उन्हें विविध काम करने में सक्षम होना होगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आर्थिक विकास के लिए कर्मियों का कौशल प्रशिक्षण एवम् दक्षता आवश्यक है। सतत कार्मिक प्रशिक्षण हर संस्था का दायित्व होना चाहिए।
उपराष्ट्रपति आज जमशेदपुर के शताब्दी समारोह के अवसर पर संबोधित कर रहे थे।1919 में लॉर्ग चेम्सफोर्ड ने साकची गांव का नाम बदल कर देश के महान उद्योगपति जमशेदजी नौशरवांजी टाटा के नाम पर जमशेदपुर रखा था। उपराष्ट्रपति ने भारत के औद्योगिकीकरण के इतिहास में जमशेदजी नौशेरवांजी जी टाटा की दूरदृष्टी का उल्लेख किया। इस अवसर पर उन्होंने एक विशेष डाक टिकट तथा एक काफी टेबल बुक जा लोकार्पण किया।
देश के स्वाधीनता आंदोलन के परिपेक्ष्य में जमशेदपुर की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि गत शताब्दी के तीसरे दशक में वैश्विक मंदी के दौरान यहां के मजदूर संघ का नेतृत्व नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने किया था। 1925 में महात्मा गांधी स्वयं इस इस्पात नगरी में आए तथा कंपनी की प्रगति की कामना करते हुए, मजदूर मालिकों के बीच आदर्श मैत्री पूर्ण संबंधों का आग्रह किया था। उपराष्ट्रपति ने कहा कि विकास के लिए शांति आवश्यक शर्त है इसके लिए मजदूरों और मालिकों के मध्य सौहार्दपूर्ण सामंजस्य पूर्ण संबंध होने चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि महज सरकारी खर्च से अभीष्ट विकास दर प्राप्त नहीं की जा सकती। निजी निवेश, मांग और निर्यात भारत के आर्थिक विकास के तीन इंजन हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष बजट प्रावधानों से व्यवसाय करना और भी सहज और सरल होगा। उन्होंने कहा कि उद्योग विकास को गति देता है अतः उसे दुविधा त्याग कर आगे बढ़ कर निवेश करना चाहिए तथा अर्थव्यव्स्था को गति प्रदान करनी चाहिए।
कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भूमिका के विषय में उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा भाग कृषि, कृषक और संबंधित व्यवसायों से जुड़ा है। आज ज़रूरी है कि हम कृषि को एक लाभप्रद और स्थाई व्यवसाय बनाने के लिए समन्वित प्रयास करें।
उन्होंने कहा कि सरकार तो अपना दायित्व निभा ही रही है, समय आ गया है कि निजी क्षेत्र भी इस दिशा में अपनी भूमिका का निर्वहन करें। कोल्ड स्टोरेज उपलब्ध कराना, गांव से निकटतम बाज़ार तक के लिए यातायात की सुविधा उपलब्ध कराना, ये सब सुविधाएं आप अपने CSR के तहत प्रदान कर सकते हैं। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण का सर्वाधिक प्रभाव गरीब और दुर्बल वर्गों पर होता है। उन्होंने कहा निजी क्षेत्र को ऊर्जा और संसाधनों का संरक्षण करना चाहिए। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री की पहल पर बने इंटरनेशनल सोलर एलियंस की चर्चा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि निजी क्षेत्र को अक्षय ऊर्जा के नवीन स्रोतों में निवेश करना चाहिए। बढ़ते शहरीकरण के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हमारे शहरों को पर्यावरणीय दृष्टि से अनुकूल होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अपने शहरों के रखरखाव में सिर्फ प्रशासन ही नहीं बल्कि आम नागरिक भी बराबर के भागीदार हैं। इससे पूर्व उपराष्ट्रपति ने टाटा सेंटर फॉर एक्सीलेंस परिसर में वृक्षारोपण किया तथा वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारियों के साथ जमशेदपुर नगर की स्थापना और विकास पर एक संग्रहालय को भी देखा। नेताजी सुभाष चंद्र बोस टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष रहे थे। समारोह के बाद उपराष्ट्रपति ने जमशेदपुर स्थित 1919 में निर्मित सौ वर्ष पुराने आंध्र भक्त श्री राम मंदिरम् के दर्शन किए। इस अवसर पर झारखंड की राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू तथा टाटा स्टील के उच्च अधिकारियों सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।