मुंबई.कांग्रेस की अगुवाई वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन( यूपीए) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि पीछे ले जाने वाला नजरिया देश की अगुवाई कर रहा है। उन्होंने सवाल किया कि क्या मई2014 से पहले देश एक‘‘ विशाल ब्लैक होल’’ था और क्या केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद ही देश ने प्रगति शुरू की। सोनिया ने आरोप लगाया कि हमारा देश, हमारा समाज, हमारी आजादी अब सब लगातार और संगठित खतरे में है। इतिहास फिर से लिखा जा रहा है, तथ्यों को झुठलाया जा रहा है और पूर्वाग्रह एवं कट्टरता भड़काई जा रही है। उन्होंने कहा, आज हमारे सामने वैकल्पिक और वास्तव में पीछे ले जाने वाला नजरिया पेश किया जा रहा है।’’ इंडिया टुडे कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए सोनिया ने कई मुद्दों पर बात की।
पहले उन्होंने एक सधा हुआ भाषण दिया और फिर सवाल- जवाब का एक सत्र हुआ जिसमें उन्होंने खुलकर सवालों के जवाब दिए। सोनिया सेउनकी कमियों के बारे में, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के बारे में और भारत में लोकतंत्र की भूमिका सहित कई विषयों पर सवाल पूछे गए और उन्होंने बेबाकी से इनके जवाब दिए। सोनिया ने मोदी सरकार पर यह हमला ऐसे समय में बोला जब एक दिन पहले ही उनके बेटे और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि भारत में डर का माहौल है जहां चुनाव जीतने के लिए लोगों को बांटने की राजनीति का विकृत स्वरूप देखा जा रहा है। यूपीए अध्यक्ष सोनिया ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार में सभी को साथ लेकर चलने की भावना के अभाव के कारण संसद में दुर्भाव की राजनीति होने लगी है। गौरतलब है कि हंगामे के कारण इस पूरे हफ्ते संसद की कार्यवाही ठप रही है।
सोनिया ने यह भी कहा कि उन्होंने मनमोहन ंिसह को2004 में प्रधानमंत्री के रूप में इसलिए चुना क्योंकि वह अपनी सीमाओं से वाकिफ थीं और जानती थीं कि मनमोहन एक बेहतर चयन हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं अपनी सीमाएं जानती थी। मैं जानती थी कि मनमोहन ंिसह मुझसे बेहतर प्रधानमंत्री साबित होंगे।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि दलित एवं महिला उत्पीड़न को लेकर स्तब्ध करने वाली संवेदनहीनता दिखाई जा रही है और चुनाव जीतने के लिए समाज को ध्रुवीकृत किया जा रहा है।
रायबरेली से लोकसभा सदस्य सोनिया ने कहा, ‘‘ मई2014 से पहले क्या भारत वाकई एक विशाल काला छिद्र( ब्लैक होल) था और सिर्फ चार साल पहले उसने प्रगति की तरफ कदम बढ़ाए? क्या यह हमारे लोगों की समझदारी का अपमान नहीं है? बात श्रेय लेने की नहीं है बल्कि भारत की ताकत को स्वीकारने की है।’’ कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि संविधान बदलने के बारे में दुस्साहसी टिप्पणियां भारत में निहित मूल्यों को विकृत करने की जानबूझकर की जा रही कोशिश है।
सोनिया ने कहा, ‘‘ सत्ता प्रतिष्ठानों से आ रहे भड़काऊ बयान अचानक या संयोगवश नहीं दिए जा रहे, बल्कि यह खतरनाक मंसूबों का हिस्सा हैं। वैकल्पिक आवाजों को चुप कराया जा रहा है। सोचने की आजादी, अपनी मर्जी से शादी की आजादी पर हमले किए जा रहे हैं। धार्मिक तनाव पैदा किए जा रहे हैं, कानून को अपने हाथ में लेने वाली भीड़ और निजी सेनाओं को खुली छूट दी जा रही है।’’ यूपीए प्रमुख ने कहा, ‘‘ देश को अच्छी तरह खड़ा रखने वाले लंबे समय से प्रभावी रहे सिद्धांतों का उल्लंघन किया जा रहा है। संसदीय बहुमत को वाद- विवाद दबाने और कानूनों को एकतरफा तरीके से पारित कराने के लाइसेंस की तरह पेश किया जा रहा है। जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाया जा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ संसद में विपक्ष को बोलने नहीं दिया जा रहा। संसद में हंगामों के लिए लोग कांग्रेस से नाराज हैं। लेकिन इसके पीछे ठोस कारण हैं। संसदीय नियमों का पालन नहीं किया जा रहा। सभी को साथ लेकर चलने की भावना नहीं है। विपक्ष को संसद में बोलने का अधिकार है।’’ सोनिया से जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तुलना नरेंद्र मोदी से करने के बारे में कहा गया तो उन्होंने कहा कि वाजपेयी संसदीय प्रक्रियाओं का सम्मान किया करते थे।उन्होंने कहा, ‘‘ हम विरोधी थे और मतभेद भी होते थे। लेकिन हालात से निपटने का हमारा तरीका सकारात्मक होता था। हमने अच्छी तरह काम किया।’’ सोनिया ने यह भी कहा कि वह मोदी को एक व्यक्ति के रूप में नहीं जानतीं।