Launching of Singha Durbar
Launching of Singha Durbar

जयपुर। विभिन्न क्षेत्र के अनेक लोगों के साथ किये साक्षात्कार के आधार पर ‘सिंघा दरबार‘ में नेपाल के सबसे महत्वपूर्ण कालखण्ड़ का इतिहास संतुलित तरीके से लिखा गया है। नेपाल के प्रधान मंत्री से लेकर गरीब से गरीब तबके के लोगों ने तथ्यों को अत्यंत सच्चाई और ईमानदारी के साथ साझा किया है। यह जानकारी ‘नेपाल के राणाओं के वंष‘ पर आधारित पुस्तक ‘सिंघा दरबार – राइज एंड फाॅल आॅफ द राणा रेजिम इन नेपाल‘ के लेखक सागर एस.जे.बी. राणा ने दी, जो कि स्वयं राणा कुल के वंषज हैं। वे रानी विद्या देवी के साथ जयपुर के होटल हिल्टन में संवाद कर रहे थे।

बुक लाॅन्च का यह प्रोग्राम प्रभा खेतान फाउंडेशन, वी केयर तथा रघु सिन्हा माला माथुर चैरिटी ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया गया था। राणाओं के पास धन की प्रचुरता और नेपाल के आमजन के अभावग्रस्त जीवन यापन करने के संदर्भ में लेखक का कहना था कि यह अर्ध सत्य है कि नेपाल पर अत्याचार करने के लिए राणा पूरी तरह जिम्मेदार थे। वास्तव में, जब राणाओं ने नेपाल में अपना शासन शुरू किया उससे पूर्व भी नेपाल ‘डार्क एज‘ में था। श्री राणा ने बी.पी. कोइराला के बारे में भी बताते हुए कहा कि वे नेपाल की सबसे बड़े राजनीतिक व्यक्तियों में से एक थे और लोकतंत्र के कट्टर समर्थक थे।

इससे पूर्व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, महाराज जय सिंह के अतिरिक्त लेखक सागर एस.जे.बी राणा; रानी विद्या देवी; रघु सिन्हा माला माथुर चैरिटी ट्रस्ट के ट्रस्टी, सुधीर माथुर; होटल हिल्टन के जनरल मैनेजर,विशाल गुप्ता और वी केयर की चेयरपर्सन, अपरा कुच्छल द्वारा पुस्तक का विमोचन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में अपरा कुच्छल ने सभी का परिचय दिया और विशाल गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया। इंटरेक्षन सत्र के पश्चात् प्रष्न-उत्तर सत्र का भी आयोजन हुआ। इस अवसर पर अतिथियों को परंपरागत शाॅल भेंट की गई। श्री सुधीर माथुर द्वारा धन्यवाद ज्ञापित करने के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
पुस्तक के बारे में:
‘सिंघा दरबार – राइज एंड फाॅल आॅफ द राणा रेजिम इन नेपाल‘ पुस्तक राणा वंष की कहानी है, जिन्होंने 104 वर्षों तक नेपाल के राजाओं के साथ प्रधानमंत्रियों के रूप में कार्य किया था। पुस्तक में नेपाल में लोकतंत्र के लिए किए गए संघर्ष को भी शामिल किया गया है, जिसका भारत के साथ घनिष्ट सम्बंध रहा है। 1951 में जब राणाओं का शासन समाप्त हो रहा था और नेपाल में स्थिरता लाई जा रही थी, तब आर्थिक एवं सामाजिक असमानता और अत्याचार के लिए इनकी काफी आलोचना हुई थी। इस पुस्तक में राणा परिवार के बारे में इससे पहले कभी नहीं सुने गए किस्से शामिल किए गए हैं। इसके साथ ही इसमें गलत ऐतिहासिक धारणाओं को लेखक के दृष्टिकोण से दूर करने का प्रयास किया गया है। पुस्तक के माध्यम से नेपाल के इतिहास के सर्वाधिक महत्वपूर्ण समय की निष्पक्ष समीक्षा की गई हैं।

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