जयपुर। सीबीआई का फर्जी एसपी बनकर एक युवक ने दर्जनों बेरोजगार युवाओं को नौकरी दिलाने का सपना दिखाया और उनसे करोड़ों रुपए लेकर फरार हो गया। अब जुर्म साबित होने पर कोर्ट ने उस फर्जी एसपी को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई है। राजधानी जयपुर के इस बहुचर्चित ठगी प्रकरण को अंजाम दिया था चौथ का बरवाडा सवाई माधोपुर निवासी आरोपी और फर्जी एसपी छीतरमल गुर्जर उर्फ प्रेमचंद न्यौला उर्फ पी.सी. न्यौला ने। अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-9 जयपुर मेट्रो वमिता सिंह ने आरोपी को पांच साल की जेल के साथ पन्द्रह हजार रुपए का हर्जाना भी लगाया है। अभियोजन अधिकारी रमेश कुमार चौधरी ने कोर्ट को बताया कि पवन शर्मा एसओजी में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी कि वह प्राईवेट नौकरी करता है एवं उसकी साली ममता जयपुर में रह कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही है। अभियुक्त ने उससे एवं उसकी सहेलियों से संपर्क कर अपने आप को सीबीआई का एसपी प्रेमचन्द न्यौला बताया और सरकारी नौकरी लगाने की बात कही। उसने पुलिस व दूसरे विभागों में नौकरी का झांसा दिया। इस झांसे में आकर 21 लोगों ने 1.33 करोड रुपए अभियुक्त को दे दिए, लेकिन जब नौकरी नहीं मिली तो वे दबाव बनाने लगे। आरोपी ने उन्हें राशि लौटाने के एवज में चेक दिए, वो भी अनादरित हो गए। शिकायत सही पाए जाने पर एसओजी ने मार्च, 2015 में अभियुक्त को गिरफ्तार कर कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया।

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