जयपुर। अनुशासनहीनता का सामना कर रहे राजस्थान भाजपा के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी के नोटिस जवाबों से बैकफुट पर चल रही भाजपा सरकार ने आज तीखे तेवर दिखाए। भाजपा सरकार के तीन वरिष्ठ केबिनेट मंत्रियों और एक सांसद ने एक संयुक्त बयान में विधायक घनश्याम तिवाड़ी को ना केवल घेरा, बल्कि यह आरोप लगाया कि वे जिस डाल पर बैठते हैं, उसी को काट देते हैं। जिन नेताओं ने तिवाड़ी को पनपाया, वे उनके खिलाफ भी हो चुके हैं। उनकी कोई दीन-ईमान नहीं है। वे पार्टी विरोधी गतिविधियां चला रहे हैं और खुद को पार्टी से बड़ा समझने लगे हैं। चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ, संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठौड़, सामाजिक न्याय मंत्री अरुण चतुर्वेदी तथा सांसद निहालचंद मेघवाल ने कहा है कि विधायक घनश्याम तिवाड़ी उसी डाल पर आरी चलाते हैं जिस पर वे उम्र भर बैठते आये हैं, लेकिन वे अपने मनसूबों मे कभी कामयाब नहीं हुए। इनके तमाम षड़यंत्रों के बावजूद वसुन्धरा जी के कुशल नेतृत्व में फिर से सरकार बनेगी और लोेकसभा की सभी 25 सीटें जीतकर देश में मोदी जी की सरकार बनाएंगे।
-’भैरोसिंह जी के खिलाफ भी षड़यंत्र रचा था तिवाड़ी ने’
कालीचरण सराफ ने कहा है कि तिवाड़ी की यही फितरत है। जिन भैरोसिंह शेखावत ने तिवाड़ी को राजनीति का ककहरा सिखाया। वे उनको भी आंख दिखाने से बाज नहीं आये। भैरोसिंह जी के खिलाफ भी तिवाड़ी ने षडयंत्र रचा था। चैमूं से 1998 में रिकाॅर्ड मतों से हारने वाले तिवाड़ी को 2003 के चुनाव में वसुन्धरा जी ने सांगानेर जैसी सुरक्षित सीट से टिकट दिया और जिताकर मंत्री बनाया। आज मंत्री नहीं बनाया तो उन्हें वसुन्धरा जी खराब लगने लगी।
-’मूर्खों के स्वर्ग में रहना चाहते हंै तिवाड़ी’
राजेन्द्र राठौड़ ने कहा है कि तिवाड़ी मुगालते में हैं। स्वयं को पार्टी से बड़ा समझतेे हैं। उन्होंने केन्द्रीय नेतृत्व के खिलाफ नोटिस के जवाब में जो जहर उगला है वैसी भाषा पार्टी के समझदार व जिम्मेदार कार्यकर्ता की नहीं हो सकती। लगता है वे ’मूर्खों के स्वर्ग’ में रहना चाहते हंै, रहें, उनकी मर्जी। वसुन्धरा जी का जो मंत्रिमंडल तिवाड़ी को चापलूस नजर आ रहा है कभी वे भी उसी के सदस्य थे। मंत्री नहीं बनाये जाने से तिवाड़ी हताश होकर संगठन के विरोध में खड़े हो गये हैं। कालीदास जिस डाल पर बैठे थे, उसे ही काट रहे थे लेकिन बाद में उन्हें ज्ञान हो गया था। तिवाड़ी तो कलियुगी कालिदास है, जिन्हें कभी ज्ञान प्राप्त होगा ये भी संदिग्ध है।
-’दीनदयाल वाहिनी के नाम से पार्टी विरोधी गतिविधियां चला रहे तिवाड़ी’
अरुण चतुर्वेदी ने कहा है कि अहंकार की पराकाष्ठा और व्यक्तिवाद में आकण्ठ डूबे तिवाड़ी को संगठन और विचारधारा की अहमियत पता नहीं है। इसीलिये वेयदि उन्होंने दीनदयाल जी के जीवन को समझा होता तो अपने आपको वे सर्वोच्च समझकर अपनी ही पार्टी पर हमला नहीं करते। तिवाड़ी संगठन के प्रति ईमानदार होते तो पत्र को सार्वजनिक करके संगठन को ठेस नहीं पहुंचाते। वे ’सिर्फ मैं ही सही बाकी सब गलत’ के सिद्धान्त पर चल रहे हैं। उनका कहना कि ’ऐसा जवाब दूंगा कि जवाब मांगने वाले भूल जाएंगे’ यह सीधे-सीधे राष्ट्रीय नेतृत्व को चुनौती है।
-’मेरे कंधे पर बंदूक ना रखे तिवाड़ी’
निहालचंद मेघवाल ने कहा है कि तिवाड़ी मेरे कंधे पर बंदूक ना रखें। मेरे और अन्य सांसदों के बारे में जो उन्होंने कहा है वह सरासर झूठ है। वसुन्धरा जी ने हमेशा मेरा साथ दिया है। तिवाड़ी की ये कुंठित मानसिकता है। मोदी जी के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री जी ने राजस्थान के सभी सांसदों के साथ प्रधानमंत्री जी से मिलकर बधाई दी थी। सांसदों के दबाव की बात तिवाड़ी की कल्पना मात्र है।
तिवाड़ी v/s वसुंदरा
यही कहानी है
बाकी शतरंज़ के पादे है