आगाज तो अच्छा है अंजाम भी अच्छा होगा
-बाल मुकुन्द ओझा
भारत में कोरोना संक्रमण अब धीरे-धीरे कमजोर पड़ना शुरू हो गया है। बताते है कोरोना का कहर बीमारों पर अधिक प्रहार कर रहा है। ऎसे में हम अपने उन औषधीय पौधों को भूल रहे है जो इम्युनिटी बढ़ाने के साथ हमें विभिन्न प्रकार के रोगों से घर बैठे बचाता है। राजस्थान सरकार ने गत मानसून में घर घर औषधीय पौधे पहुँचाने की अपनी महत्वाकांक्षी योजना को त्वरित अमलीजामा पहुँचाया। राजस्थान वन विभाग की नर्सरी हजारों औषधीय पौधे विकसित कर रही हैं, जिन्हें पांच वषोर्ं में घर-घर औषधि योजना के तहत लोगों को उपलब्ध कराया जायेगा। योजना के अंतर्गत इम्युनिटी बढ़ाने हेतु बहु-उपयोगी औषधीय पौधे तुलसी, गिलोय, कालमेघ और अश्वगंधा वन विभाग की 565 पौधाशालाओं में तैयार किये जा रहे है।
कोरोना में कारगर
कोरोना महामारी से निपटने के लिए गहलोत सरकार की यह अनूठी और अभिनव पहल है। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए 210 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान रखा गया है। बहुदा देखा जाता है जनता से जुडी सरकारी कल्याणकारी योजनाएं बड़े प्रचार प्रसार के साथ शुरू अवश्य होती है मगर धरातल पर उनका क्रियान्वयन सुचारु नहीं होने से वे जल्द ही दम तोड़ने लगती है। घर घर औषधि योजना का गहलोत सरकार का आगाज तो अच्छा है। अब यह जनता जनार्दन पर निर्भर करता है की वह इस योजना का अधिकतम लाभ उठाएं और विभिन्न बीमारियों से लड़ने की अपनी क्षमता विकसित करें। सरकार आपका हरसंभव सहयोग कर रही है। आपको भी आगे आकर प्रदेश के विकास में अपनी भागीदारी देनी होंगी।
घर-घर औषधि योजना के तहत अब तक 4.67 करोड़ औषधिय पौधे सम्पूर्ण प्रदेश में वितरित किये जा चुके है। एक अगस्त, 2021 से प्रारम्भ हुई इस अति महत्वकांशी योजना में 1.26 करोड़ परिवारों को पाँच वषोर्ं में तीन बार में तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा एवं कालमेघ के 2-2 पौधे, कुल 8 औषधीय पौधे निःशुल्क उपलब्ध कराये जाएंगे।
प्राण वायु देते है
हमारे बड़े बुजुर्ग हमें औषधीय पौधों की बात बताते है। बहुत से बड़े बुजुर्ग आज भी अंग्रेजी दवाओं का सेवन नहीं करते और अपने स्वास्थ्य के राज की बातें बताते नहीं थकते मगर अपनी दौड़ भरी लाइफ स्टाइल में स्वस्थ जीवन के मंत्रा की बातें सुनना पसंद नहीं करते। फलस्वरूप विभिन्न शारीरिक रोगों को भोगते हुए जैसे तैसे अपने जीवन की गाड़ी को हांकते है। यदि हम कोरोना जैसे संक्रमण का मुकाबला करने के लिए अपने घरों पर औषधीय पौधे लगाएं तो ये हमें प्राण वायु तो देते ही है साथ ही स्वस्थ जीवन की राह भी दिखाएंगे।
पेड़-पौधे हमारे शरीर में होने वाली विभिन्न बीमारियों से छुटकारा दिलाने के लिए हमें बहुत कुछ दे सकते हैं। प्राचीन काल में मानव ने तरह-तरह के पेड़-पौधों की खोज कर खुद को निरोगी रखा। मानव सभ्यता के विकास के साथ विज्ञान ने हमें नयी नयी ऊंचाइयों तक पहुँचाया, इसमें कोई दो राय नहीं है मगर औषधीय पौधों की महत्ता कभी कम नहीं हुई। भारत में औषधीय गुण वाले असंख्य पेड़-पौधे हैं। भारतीय पुराणों, उपनिषदों, रामायण एवं महाभारत जैसे प्रमाणिक ग्रंथों में इसके उपयोग के अनेक साक्ष्य मिलते हैं। रामायण में संजीवनी बूटी की चर्चा आज भी घर घर में सुनी जा सकती है। बहुत सारी अंग्रेजी दवाइयों में आज भी औषधीय पौधों का मिश्रण किया जाता है। सर्दी, जुकाम, बुखार, बीपी, शुगर, उलटी दस्त जैसी सामान्य बीमारियों से लेकर कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों का इलाज भी हमारे औषधीय पौधों में है। यदि इन पेड़ पौधों का हम उचित रखरखाव कर विभिन्न रोगों के इलाज में सही ढंग से उपयोग करें तो ये हमारे स्वस्थ जीवन के लिए बेहद लाभदायक हो सकते है।
औषधीय पौधे हमारी धरोहर
औषधीय एवं सुरभित पौधे हमारी धरोहर हैं जिनका वैश्विक महत्व है। विश्व में असंख्य औषधीय एवं सुरभित पौधों की प्रजातियाँ हैं। उनमें से अनेक पौधों का उपयोग हम विभिन्न कारणों से करते हैं और अनेक हमसे अपरिचित हैं। भारत के रेड डाटा बुक में 427 संकटग्रस्त पौधों के नाम दर्ज हैं, इनमें से 28 लुप्त, 124 संकटग्रस्त, 81 नाजुक दशा में, 100 दुर्लभ तथा अन्य पौधे हैं। भारत के पहाड़ी और जंगली इलाकों में उपलब्ध तीन सौ से अधिक औषधीय वनस्पतियों की प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है. अगर सरकार इनके संरक्षण की दिशा में पहल नहीं करेगी तो आने वाले वषोर्ं में कई वनस्पतियां विलुप्त हो जाएंगी। सरकार यदि इनके संरक्षण की दिशा में पहल नहीं करेगी तो आने वाले वषोर्ं में कई वनस्पतियां विलुप्त हो जाएंगी।
बहुत सी अंग्रेजी दवाइयों के साथ आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा जैसी पद्धतियों में औषधीय पौधों का बहुतायत से प्रयोग हो रहा है। भारत सरकार के ऑल इण्डिया को-ऑर्डिनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट ऑन एथ्नो-बायोलॉजी द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में यह बताया गया है की लगभग 8 हजार पेड़-पौधे ऎसे हैं जिनका उपयोग औषधीय गुणों के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में लगभग दो हजार, सिद्धा में लगभग एक हजार और यूनानी में लगभग 750 पौधें ऎसे है जिनका उपयोग विभिन्न दवाओं के निर्माण में किया जाता है।
बहुगुणकारी है
हमारे विभिन्न ग्रंथों और प्राचीन पुस्तकों में हजारों ऎसे नुस्खे बताये गए है जो औषधीय पौधों से निकले है। हमारे देश में आज भी लाखों लोग इन नुस्खों का उपयोग करते है। नीम, तुलसी, बेंग साग, ब्राम्ही, हल्दी, चन्दन, चिरायता, अडूसारू, सदाबहार, गुलाब, सहिजन, हडजोरा, करीपत्ता, लहसून, एलोवीरा लेवेंडर, जीरा, पुदीना, गिलोय, सूरजमुखी, पीपल, आक, बरगद, आंवला, गूगल ,अदरख नीम्बू, पत्थरचूर, शतावर, अजवायन, चुकंदर, चिरचिटी, कुल्थी, घृतकुमारी, करेला, पिपली, मेथी, पुनर्नवा, मदन मस्त, पिपली, चंपा, रजनीगंधा, श्वेत अपराजिता, सर्पगन्धा, अशोक और वलाक आदि औषधीय पौधों में से बहुत से ऎसे भी है जो घरों में लगाए जा सकते है। इनमें बहुत सी प्रजातियां अब लुप्तप्राय है। आवश्यकता इस बात की है इन बहु गुणकारी औषधीय पौधों के विकास की योजनाएं बनाकर आम आदमी को इनके प्रयोग और उपयोग की जानकारी दी जाएं।