श्रीनगर. श्रीनगर की सेंट्रल जेल आंतकवादियों की भर्ती करने का एक अड्डा बन गया है जहां कैदी एक “समानांतर प्रशासनिक” ढांचा खड़ा कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर सीआईडी की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है जेल अधिकारियों द्वारा चेतावनी दिए जाने के बावजूद स्थानीय पुलिस ने इसे नजरअंदाज किया है। रिपोर्ट में विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि वर्तमान में सेंट्रल जेल की भूमिका इतनी महत्त्वपूर्ण हो गई है कि प्रत्येक नए आतंकवादी की भर्ती केवल जेल के भीतर से मंजूरी मिलने के बाद ही होती है। इसमें कहा गया, हालांकि इसकी अनमुति कौन देता है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
पुलिस महानिदेशक एस पी वैद ने राज्य के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के महानिरीक्षक ए जी मीर के निर्देशन में तैयार की गई इस रिपोर्ट को पिछले साल प्रधान सचिव (गृह) राज कुमार गोयल को भेजा था। उन्होंने जेल के भीतर कड़ी चौकसी रखने की भी मांग की थी। छह फरवरी को लश्कर-ए-तैयब्बा के आतंकी नवीद झट्ट के फरार होने के बाद हटाए गए पूर्व जेल महानिदेशक एस के मिश्रा ने रिपोर्ट के जवाब में कहा था कि वह इस मुद्दे पर लंबे समय से प्रकाश डाल रहे थे। उन्होंने कहा था कि उन्होंने राज्य गृह विभाग को पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (कश्मीर) मुनीर खान और उप महानिरीक्षक को भेजे गए कई पत्रों में जेल की पूरी तलाशी लेने को कहा था लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
प्रधान गृहसचिव को भेजे गए अपने जवाब में मिश्रा ने कहा कि उन्होंने जेल की खराब बनावट का भी मुद्दा उठाया था जिससे कि कैदियों को सही से वर्गीकृत करने में दिक्कत आती है। सेंट्रल जेल श्रीनगर में स्थित है और यहां कैद हाई प्रोफाइल आतंकवादियों का इलाके के स्थानीय लोगों के साथ संपर्क है।