जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि वनों एवं वन्यजीवों का संरक्षण राज्य सरकार की प्राथमिकता है। इस दिशा में राज्य सरकार किसी तरह की कमी नहीं रखेगी। आज पूरी दुनिया पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है। हमारा दायित्व है कि वनों के संरक्षण के साथ वन्यजीवों को बचाने के लिए समर्पित भाव से प्रयास करें। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने के लिए सरकार आवश्यक कदम उठाएगी।
गहलोत गुरूवार को मुख्यमंत्री निवास से वीसी के माध्यम से स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बोर्ड की इस 11वीं बैठक के बाद नई सोच के साथ कार्यप्रणाली में बदलाव करते हुए वन्य जीवों के संरक्षण की मूल भावना को ध्यान में रखते हुए सकारात्मकता के साथ प्रयास होंगे। उन्होंने कहा कि स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक वर्ष में कम से कम दो बार आयोजित की जाए ताकि सदस्यों एवं विशेषज्ञों के सुझावों के आधार पर वनों के विकास एवं वन्य जीव संरक्षण के लिए उचित कदम उठाए जा सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, 1972 लागू किया और इसके बाद अप्रैल 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरूआत से बाघ संरक्षण का काम शुरू हुआ। गांधी की वन्य जीव संरक्षण के प्रति सोच से देश में कई टाइगर रिजर्व एवं अभयारण्य बने। उन्होंने तीनों बाघ परियोजनाओं के प्रबंधन एवं मॉनिटरिंग व्यवस्था को बेहतर बनाने पर जोर दिया और कहा कि आमजन भी बाघों के संरक्षण को लेकर जागरूक है। मुख्यमंत्री ने सौंखलिया (अजमेर) में कृत्रिम प्रजनन के माध्यम से राजस्थान में पहली बार खरमोर के चूजे पैदा होने पर वन विभाग के अधिकारियों को बधाई दी और विलुप्त होती जा रही प्रजातियों के कृत्रिम प्रजनन को बढ़ावा देने के निर्देश दिए।
गहलोत ने गोडावण, खरमोर, सियागोश एवं गिद्ध जैसी विलुप्त होती जा रही प्रजातियों के संरक्षण तथा अन्य वन्य जीव प्रजातियों को बचाने के लिए वन विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि वन्य जीवों के संरक्षण में स्थानीय लोगों का सहयोग लिया जाए। उन्होंने सांभर लेक सहित प्रदेश के अन्य वेटलैण्ड्स के संरक्षण तथा वन क्षेत्रों में तेजी से फैल रहे जूलीफ्लोरा (विलायती बबूल) के प्रभावी उन्मूलन पर जोर दिया। पिछले साल सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की मृत्यु पर चिंता जताते हुए उन्होंने स्टेट वाइल्ड लाइफ ऑथोरिटी को योजनाबद्ध तरीके से ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए।
गहलोत ने कहा कि राजस्थान में पर्यटन उद्योग के विकास की अपार संभावनाएं हैं और हमारे टाइगर रिजर्व एवं अभयारण्य की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने टाइगर रिजर्व में आने वाले पर्यटकों से ली जाने वाली इको डवलपमेंट सरचार्ज राशि को इन रिजर्व के विकास तथा आसपास के गांवों के विकास पर खर्च करने की मांग का परीक्षण करने एवं उचित रास्ता निकालने के निर्देश दिए। उन्होंने वाइल्ड लाइफ डिविजन का अलग से कैडर बनाने एवं वनरक्षकों की भर्ती में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने के लिए भर्ती नियमों में बदलाव के बारे में परीक्षण करने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बैठक में बोर्ड के सदस्यों एवं विशेषज्ञों द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण सुझावों को प्राथमिकता में लेते हुए उचित कदम उठाए जाएंगे। बैठक में वन राज्यमंत्री सुखराम विश्नोई ने कहा कि वन विभाग की नर्सरियों में स्थानीय पौधे एवं आयुर्वेदिक पौधे तैयार किए जा रहे हैं। विलुप्त हो रही वन्य जीव प्रजातियों के संरक्षण के लिए भी उचित कदम उठाए जा रहे हैं। बोर्ड के सदस्य एवं पूर्व मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर ने गोडावण के संरक्षण, चीता के रिलोकेशन, अभयारण्यों की सुरक्षा के लिए दीवारें बनाने एवं नदियों में फिशिंग की संभावनाएं तलाशने जैसे महत्वपूर्ण सुझाव दिए।