जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने निजी स्कूल के प्रिसिंपल की ओर से नाबालिग छात्रा का दुष्कर्म करने के मामले की जांच बदलने के गृहमंत्री के आदेेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने आरोपी की ओर से एफआईआर रद्द करने की गुहार करते हुए दायर आपराधिक याचिका को खाजिर कर दिया है। न्यायाधीश केएस अहलुवालिया की एकलपीठ ने यह आदेश योगेश शर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में कहा गया कि उसे छात्रा से दुष्कर्म के मामले में फंसाया गया है। छात्रा के परिजनों की ओर से स्कूल फीस अदा नहीं की गई। जिसके चलते उन्होंने झूठा मामला दर्ज कराया है। याचिकाकर्ता की ओर से अपने समर्थन में कुछ छात्रों व स्थानीय निवासियों के शपथ पत्र पेश कर एफआईआर रद्द करने की गुहार की गई। इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि गत 7 जनवरी को भरतपुर के मथुरागेट थाना इलाके में अभियुक्त ने छुट्टी के दिन पीडिता सहित अन्य छात्राओं को बुलाया और कैंटीन में पीडिता के साथ दुष्कर्म किया। प्रकरण में सीओ भरतपुर और एएसपी जांच कर आरोप प्रमाणित मान चुके है।
इसके अलावा जल्द ही आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया जाएगा। वहीं अदालत के सामने आया कि गृहमंत्री ने मामले की जांच एएसपी डीग को सौंपने के आदेश दिए हैं। इस पर अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए गृहमंत्री के आदेश की क्रियान्विति नहीं करने के आदेश दिए हैं।