नई दिल्ली। रैगिंग से परेशान होकर ग्रेटर नोएडा स्थित गलगोटिया यूनिवर्सिटी के इंजिनीयरिंग के एक पूर्व छात्र ने यहां आत्महत्या कर ली। हालांकि मामले में परिवारीजन ने कोई एफआइआर दर्ज नहीं कराई है। उधर, विवि प्रबंधन का कहना है कि छात्र पिछले दस माह से यूनिवर्सिटी में आया ही नहीं था। ऐसे में रैंगिंग कैसे हो सकती है ?शहर के विजयनगर निवासी अवध प्रताप सिंह का 22 वर्षीय पुत्र महेंद्र प्रताप सिंह बीटेक कंप्यूटर साइंस में गलगोटिया यूनिवर्सिटी में पढ़ता था। उसने पिछले सत्र वर्ष 2016-17 में वहां पर प्रवेश लिया था परंतु कुछ महीनों बाद रैगिंग से त्रस्त होकर वह कालेज छोड़कर इटावा आ गया।
इस वर्ष वह कालेज नहीं गया और इटावा के ब्रज गोपाल महाविद्यालय में बीएससी में एडमिशन ले लिया, परंतु गलगोटिया यूनिवर्सिटी की रैगिंग की बातें उसके दिमाग पर छाई रहीं। उसके पिता अवध प्रताप सिंह का आरोप है कि उसके पुत्र को वहां पर काफी परेशान किया गया, जिसकी वजह से वह डिप्रेशन में चला गया था। इसके कारण उसने आत्महत्या कर ली। मां साधना देवी का कहना है कि उसका पुत्र कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहता था, परंतु वहां पर हुई रैगिंग के कारण वह परेशान हो गया और उसने यह कदम उठा लिया। अपर पुलिस अधीक्षक जितेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि मामले में परिवारीजन ने कोई सूचना नहीं दी है। अगर कोई तहरीर आती है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।
उधर, गलगोटिया विश्वविद्यालय की वीसी रेनू लूथरा का कहना है कि छात्र अधिकतर समय विवि में अनुपस्थित रहता था। पिछले दस माह से वह विवि आया भी नहीं था। विवि में एंटी रैंगिंग सेल बनी हुई है। छात्र या उसके परिजन ने रैगिंग संबंधी कोई शिकायत सेल में नहीं की थी।