नई दिल्ली। जिले में दो दिन पूर्व नवोदय विद्यालय की प्रिंसिपल की प्रताड़ना से परेशान छात्रा द्वारा आत्महत्या किये जाने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है। 48 घंटे बीत जाने के बाद भी छात्रा की मौत का इन्साफ न मिलने पर स्कूल में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं ने विरोध करना शुरू कर दिया है। जिसके चलते छात्र छात्राओं ने स्कूल परिसर में जमकर हंगामा काटा और भूख हड़ताल पर बैठ गए। गुरसहायगंज कोतवाली स्थित नवोदय विद्यालय में नारेबाजी करते ये छात्र छात्रायें इसलिए गुस्से में है कि स्कूल की प्रिंसिपल सुमनलता यादव ने इन बच्चों का जीना हराम कर रखा है। प्रिंसिपल की प्रातड़ना से दो छात्राओं ने आत्महया की कोशिश की जिसमें एक छात्रा सिमरन की दो दिन पहले मौत हो गयी। बताया जा रहा है कि प्रिंसिपल की तानाशाही के चलते फ़रवरी 2017 में कक्षा 9 की छात्रा ने स्कूल कैम्पस के अंदर फांसी लगा ली थी लेकिन उसको छात्रों ने बचा लिया। उस घटना में भी प्रिंसिपल पर कोई कार्रवाई नहीं हुयी। दूसरी घटना में भी प्रिंसिपल ने मृतक कक्षा 12 की छात्रा सिमरन को स्कुल में प्रवेश लेने नहीं दिया।
सिमरन व उसके माता-पिता तीन बार स्कूल गए लेकिन प्रिंसिपल ने बेइज्जत कर उनको भगा दिया। माता-पिता की बेइज्जती सिमरन बर्दास्त नहीं कर पायी और उसने आत्महत्या कर ली। छात्रों की माने तो स्कूल प्रबंधन का रवैया छात्र व छात्रों के साथ बहुत खराब है। जब तक उनको न्याय नहीं मिल जाता वो भूखे-प्यासे धरने पर बैठे रहेंगे। प्रिंसिपल की पताड़ना से हुई छात्रा की माैत-परिजन का आरोप, मृतक छात्रा के परिजन सिमरन की मौत का कारण प्रिंसिपल की पताड़ना बता रहे हैं। उनका कहना है कि स्कूल में बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। बच्चे बहुत परेशान रहते हैं। उन्होंने बताया कि प्रिंसिपल की पहुंच नेताओं तक होने के कारण सिमरन के माता-पिता डरे हुए हैं क्याेंकि उनका एक बच्चा उसकी स्कूल में पढ़ता है। प्रिंसिपल उसको नुकसान पहुंचा सकती है। प्रिंसिपल ने दी ये सफाई, विद्यालय में बच्चों की नाराजगी का कारण जब स्कूल की प्रिंसिपल सुमनलता से मीडिया कर्मियों ने पूछा तो पहले उन्होंने कहा कि बच्चे उनको स्कूल से हटवाना चाह रहे हैं। वहीं छात्रा की माैत पर प्रिंसिपल के सामने मुँह छुपाते भागती रहीं। पुनरावृत्ति किसी दूसरे छात्र के साथ न हो- स्टूडेंट्स, धरने पर बैठे छात्रा का कहना है कि विद्यालय में कई अव्यवस्थाएं हैं जिसकी वजह से यहां घटना घटित हुई है। हम चाहते हैं कि इस तरह की पुनरावृत्ति किसी दूसरे छात्र के साथ न हो, न ही हमारे साथ अन्याय हो। अभी तक बच्चों को दबाकर रखा गया था। अब सभी बच्चे सामने आएं हैं। हमें न्याय मिलना चाहिए। बिना उच्चाधिकारी से बात किए हम यहां से नहीं उठेंगे। हमारी समस्याओं को दूर किया जाए आैर न्याय दिलाया जाए।