नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच डोकलाम के मुद्दे पर तकरार अभी भी बरकरार है। लेकिन ऐसे संकेत मिले हैं कि चीन के अपने तेवर अब ढीले पडऩे लगे हैं। इसके पीछे कारण यह है कि चीन ने पहली बार यह स्वीकार किया कि डोकलाम को लेकर उसका भूटान के साथ विवाद है। इस मामले में उसने भारत को कहा कि वो इस मामले में तीसरा पक्ष न बने।
चीन ने कहा कि भारत बिना शर्त डोकलाम से अपनी सेना हटा ले। डोकलाम को अब तक चीन खुद का क्षेत्र बताता था। इस मामले में वह भूटान का जिक्र करने से बच रहा था। बुधवार को चीनी विदेश मंत्रालय ने एक 15 पेजों का दस्तावेज जारी करते हुए कहा कि चीन और भूटान के बीच सीमा विवाद है। दोनों ही देश इस मामले में बातचीत कर रहे हैं। भारत को इस मामले में तीसरे पक्ष के तौर पर बातचीत में दखल नहीं देना चाहिए। जरुरी है कि संबंधों को बेहतर बनाने के लिए भारत ठोस कार्रवाई करते हुए डोकलाम से अपनी सेना हटाए। इस बीच भारत ने चीन के उस दावे को खारिज कर दिया। जिसमें कहा गया कि डोकलाम से भारतीय सैनिकों की संख्या में कमी की गई है।
भारत ने कहा कि डोकलाम में चीन के सड़क निर्माण को लेकर सामने आई तनातनी के बाद वहां 350 सैनिक पिछले 6 हफ्ते से मौजूद हैं। भारत सरकार ने चीन को यह साफ बता दिया है कि इस इलाके में सड़क निर्माण करना वहां की स्थिति में बदलाव का संदेश देगा। यह इलाका भारत, भूटान व चीन के बीच का इलाका है। इस क्षेत्र से भारत के सुरक्षा हित जुड़े हुए हैं। इसलिए वह वहां पर कोई भी परिवर्तन नहीं चाहता है।