नई दिल्ली। आतंक का पर्याय बन चुका आईएसआईएस संगठन अब तक पढ़े लिखे युवाओं को ही अपने जाल में फांस रहा था। लेकिन पाकिस्तान सेना एक चौंकाने वाला खुलासा कर किया कि आईएस अपने जाल में खूबसूरत लड़कियों को भी फांस रहा है। इसके पीछे कारण यह रहा कि पाकिस्तान निवासी मेडिकल छात्रा जो पिछले दो माह से लापता थी और परिजन उसकी तलाश को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। उसी लड़की को पाकिस्तान की फौज ने गिरफ्तार करने के साथ ही उसके आईएस से गठजोड़ का खुलासा किया तो खुद पाकिस्तान सकते में आ गया। मेडिकल की यह छात्रा आईएस की सुसाइड बम बन चकी थी। जिसे हाल ही ईस्टर के मौके पर चर्च में धमाके करने थे। 20 वर्षीय छात्रा का नाम नौरीन जबर लेघारी है, जो जिसे आईएस में पाकिस्तान की ब्यूटी बम के नाम से जाना जाता था। नौरीन ने अपनी जुबानी जांच एजेंसियों को जो जानकारी दी कि मेरा नाम नौरीन है, मैं लियाकम मेडिकल यूनिवर्सिटी से द्वितीय वर्ष की छात्रा हूं और हैदराबाद से ताल्लुक रखती हूं। पिता यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर अब्दुल जब्बार है। मुझे अगवा नहीं किया गया, मैं मर्जी से लाहौर के लिए गई। नौरीन का शुरू से ही दहशतगर्द बनने का मंसूबा था। उसके साथ अब्बू फौजी नाम का लड़का था, जो उसके साथ कार्रवाईयों में शामिल था। इसके लिए अप्रेल माह में ही तंजीम ने असला उपलब्ध कराया। जिसमें 2 जैकेट और 4 हैंड ग्रेनेड और कुछ गालियां थीं। हमला ईस्टर के दिन चर्च में किया जाना था। जिसको मुझे ही अंजाम देना था। लेकिन कार्रवाई को अंजाम देने से पूर्व ही 14 अप्रेल की रात सुरक्षा एजेंसियों ने घर पर छापा मारकर नौरीन को गिरफ्तार कर लिया गया। पाक पुलिस ने बताया कि नौरीन 10 फरवरी को घर से लापता हो गई, दो माह सीरिया में गुजारने के बाद वह अपन मंसूबों को अंजाम देने के लिए सप्ताहभर पहले ही लाहौर आ गई। नौरीन सिंध प्रांत के जामशोरो के लियाकत यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंस में अध्ययनरत थीं। वह बेहद सामान्य थी, लेकिन गत वर्ष ही उसमें बदलाव दिखने लगा। इंटरनेट पर वह तारिक नामक आंतकी से संपर्क में आई, जहां उसे ब्रेनवॉश कर आंतक की ओर धकेल दिया। नौरीन बुर्का पहनने लगी व पांच वक्त की नमाज पढऩे लगी। घर से जाने के बाद वह बगदादी की सेना में शामिल हुई। तारिक नामक आतंकी ने उसे हथियार चलाना सिखाया और धमाके के गुर सीखाएं। नौरीन ने अपने फेसबुक मैसेज में लिखा कि भाई मैं नौरीन खैरियत से हूं और अल्लाह के फजल से खिलाफत की सरजमीं पर हिजरत के लिए पहुंच चुकी हूं। अल्लाह से दुआ करती हूं आप लोग भी कभी न कभी हिजरत जरुर करेंगे। इंशा अल्लाह…।
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