– पिता को कुल्हाड़ी से मारा, बाकी को नींद की गोलियां देकर टैंक में फेंका
जोधपुर. जोधपुर में एक युवक ने पूरे परिवार की हत्या कर खुद भी सुसाइड कर लिया। उसने पिता को कुल्हाड़ी से मारा और मां व दो बेटों को नींद की गोलियां खिलाकर टैंक में फेंक दिया। पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया है कि आरोपी की पत्नी परिवार से अलग रहने की जिद कर रही थी, जिसकी वजह से वह परेशान था। यह दिल दहला देने वाली वारदात लोहावट के पीलवां गांव की है। किसान शंकर लाल (38) ने गुरुवार शाम पहले अपने पिता सोनाराम (65) पर कुल्हाड़ी से हमला कर घायल कर दिया और मौके से भाग गया। सोनाराम को घायल देख कुछ लोगों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया, जहां देर रात इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। हालांकि युवक ने यह कदम क्यों उठाया, इसका कारण अब तक सामने नहीं आ पाया है।
घर पहुंचकर शंकर ने बाकी परिजन के खाने में नींद की गोलियां मिला दीं। इससे सभी बेहोश हो गए तो सबसे पहले अपनी मां चंपा (55) को घर में बने पानी के टांके (टंकी) में फेंक दिया। उसका बेटा लक्ष्मण (14) भी वहीं सो रहा था, उसे भी टंकी में फेंक दिया। शंकर का छोटा बेटा दिनेश (8) अपनी मां के पास सो रहा था, सुबह करीब 5 बजे उसे भी टंकी में फेंक दिया। शुक्रवार सुबह लोगों ने टंकी में शव तैरते देखे और पुलिस को सूचना दी। जोधपुर ग्रामीण एसपी अनिल कयाल ने बताया कि शुरुआती जांच में पत्नी से विवाद की बात सामने आई है, लेकिन अभी पुख्ता कुछ नहीं है। शंकर की भाभी ने बताया कि बुधवार रात को आरोपी ने परिवार के सभी लोगों को 22 नींद की गोलियां दी थी। शंकर ने परिवार को बोला कि सभी खेत में दिनभर काम करते हैं, इसलिए थक जाते हैं। ये गोलियां खाने से नींद अच्छी आएगी। गुरुवार को भी सभी को शिकंजी में तीन-तीन नींद की गोलियां डालकर दीं।
पुलिस ने बताया कि शंकर ने अपने भाई की पत्नी को भी नींद की गोलियां दी थी। ये भी कहा कि इसे आराम मिलेगा। वह गोली लेकर अपने बच्चों के साथ कमरे में चली गई और दरवाजा बंद कर दिया। सामने आया कि वह भाई की पत्नी को भी मारना चाहता था लेकिन दरवाजा बंद होने की वजह से भाभी और बच्चे बच गए।
मां-बाप और बड़े बेटे की हत्या करने के बाद वह सुबह 5 बजे अपनी पत्नी के पास आया। यहां छोटे बेटे दिनेश को उठाया तो पत्नी की आंख खुली। इस पर बोला कि वह बच्चे को पेशाब करवा कर ला रहा है। लेकिन, पत्नी पर भी नींद की गोलियां का असर था तो वह उठ नहीं पाई। इसके बाद शंकर ने अपने बेटे को उठाया और सीधे पानी के टैंक में डाल दिया। पत्नी मैना ने पुलिस को बताया कि जब नींद से उठी तब उसने घर में खून देखा और घर के सभी लोग वहां नहीं थे। वह दौड़ कर खेत में गई तो ससुर को लहुलुहान देखा और शोर मचाया। आस-पास से लोग पहुंचे और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर पिता को अस्पताल पहुंचाया।
– स्पीड कम थी इसलिए बच गए
बुढ़ापे से परेशान 80 साल के पति-पत्नी ने एक साथ मरने की सोची। इसके लिए वे ट्रेन के आगे आकर लेट भी गए, लेकिन स्पीड कम होने की वजह से दोनों की जान बच गई। वहां मौजूद लोगों ने जब उठाया तो कहने लगे हमें अब नहीं जीना है। दोनों से समझाइश कर वृद्धाश्रम भेजा गया है। मामला अलवर शहर के हसन खां के पास डबल फाटक का है। ट्रेन की स्पीड कम थी इसलिए दोनों की जान बच गई।