नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम को कैम्ब्रिज विश्विवद्यालय में अपनी पुत्री के प्रवेश की प्रक्रिया पूरी करने के लिये आज एक से दस दिसंबर तक ब्रिटेन जाने की इजाजत दे दी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कार्ति चिदंबरम को तीन दिन के भीतर यह आश्वासन देने का आदेश दिया कि वह इस समय सीमा का पालन करेंगे और इसके समाप्त होने पर भारत लौट कर आयेंगे। केन्द्रीय जांच ब्यूरो की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कार्ति चिदंबरम की विदेश जाने की अर्जी के बारे में जांच एजेन्सी के रूख के संबंध में पूछ गये न्यायालय के एक सवाल के जवाब में एक नोट पेश किया।
पीठ ने हालांकि, अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि कार्ति चिदंबरम को विदेश जाने की अनुमति दिये जाने को किसी भी अदालत में मिसाल के रूप में पेश नहीं किया जायेगा। शीर्षअदालत ने नौ नवंबर को जांच ब्यूरो से कहा था कि कार्ति चिदंबरम को कुछ दिन के लिये विदेश जाने की अनुमति देने के बारे में वह अपनी स्थिति साफ करे। जांच ब्यूरो ने 15 मई को एक प्राथमिकी दर्ज की थी जिसमें 2017 में वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल में आईएनएक्स मीडिया को विदेश से 305 करोड रुपए की धनराशि स्वीकार करने के लिये विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा दी गयी मंजूरी में कथित अनियमितताओं का आरोप था। शीर्षअदालत कार्ति चिदंबरम के लिये जारी लुक आउट सर्कुलर पर रोक लगाने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ जांच ब्यूरो की याचिका पर सुनवाई कर रही है। जांच ब्यूरो ने एक सितंबर को कहा था कि कार्ति चिदंबरम के लिये लुक आउट सर्कुलर जारी करने की ठोस वजह हैं। इससे पहले, न्यायालय ने कहा था कि कार्ति चिदंबरम को इस मामले में पूछताछ के लिये पेश हुये बगैर विदेश जाने की अनुमति नहीं दी जायेगी। इसके बाद न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी।