जयपुर। पद्यावत फिल्म को देश में रिलीज के आदेश देने वाले सुप्रीम कोर्ट ने इस फिल्म पर जल्द सुनवाई के लिए दायर एक पीटिशन को शुक्रवार को खारिज कर दिया है, साथ ही यह भी कहा है कि लॉ एण्ड आॅर्डर बनाए रखना का काम राज्य सरकारों का है, हमारा नहीं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम.खानविलकर और जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड की बैंच ने जल्द सुनवाई की पीटिशन खारिज करते हुए यह कहा है। एडवोकेट एम.एल.शर्मा की ओर से दायर याचिका में कहा था कि सैंसर बोर्ड की ओर से इस विवादित फिल्म को दिए गए सर्टिफिकेट को रद्द किया जाए। कोर्ट ने कहा कि गुरुवार को ही बैंच ने इस फिल्म को रिलीज करने का आदेश दिया है। सेंसर बोर्ड ने जब सर्टिफिकेट जारी कर दिया है तो उस पर किसी को दखलंदाजी का हक नहीं है। 25 जनवरी से यह फिल्म देश भर में रिलीज होगी।
कोर्ट ने राजस्थान, एमपी, यूपी और हरियाणा सरकार की ओर से फिल्म पर लगाए बैन को भी रद्द कर दिया था। उधर, फिल्म पर बैन लगाने को लेकर राजस्थान, बिहार, यूपी,एमपी, गुजरात आदि राज्यों में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। राजस्थान में विरोध अधिक है। राजपूत संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर फिल्म रिलीज होगी तो कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। संगठनों ने किसी भी कीमत पर फिल्म रिलीज नहीं होने देने की चेतावनी दी है। गौरतलब है कि इस फिल्म को इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए राजपूत संगठन जैसे करणी सेना, राजपूत सभा व दूसरे संगठन बैन लगाने की मांग कर रहे हैं। जयपुर में फिल्म की शूटिंग के दौरान संजय लीला भंसाली के साथ मारपीट भी की गई और यूनिट सदस्यों के साथ मारपीट की गई। राजपूत संगठनों का आरोप है कि फिल्म मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मनी के बीच प्रेम प्रसंग दिखाया है, जो गलत है। रानी को घूमर करते दिखाया है, जबकि रानी घूमर नहीं करती।