नई दिल्ली। राम मंदिर से जुड़े मुद्दे को अदालत के बाहर सुलझा लिया जाना चाहिए। यह एक बेहतर विकल्प के रुप में है। यदि जरुरत पड़ती है तो सुप्रीम कोर्ट के जज मध्यस्थता के लिए तैयार है। यह बात सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने मंगलवार को राम मंदिर मसले पर टिप्पणी करते हुए कही। बता दें कि भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कोर्ट से आग्रह किया था कि विगत 6 साल से लंबित राम मंदिर मामले की अपील पर सुनवाई करें और रोजाना सुनवाई करते हुए जल्द फैसला सुनाया जाए। इस पर जस्टिस खेहर ने कहा कि धर्म और आस्था से जुड़े इस मामले में दोनों पक्ष आपस में बैठे और बातचीत के माध्यम से हल निकालने का प्रयास करें। इस पर स्वामी ने कहा कि दोनों ही समुदायों से जुड़े पक्ष इसको लेकर हठ पकड़े हुए और एक साथ नहीं बैठ सकते। इसके जवाब में जस्टिस खेहर ने कहा कि जरुरत पड़ी तो कोर्ट इस मामले में मध्यस्थता करने को तैयार है। बातचीत से अगर हल नहीं निकला तो सुनवाई करते हुए फैसला दिया जाएगा। वैसे यदि दोनों ही पक्ष एक मंच पर आकर बातचीत करें तो बेहरत होगा। कोर्ट ने इस मामले को 31 मार्च को फिर से मेंशन करने की बात कही। गौरतलब है कि राम मंदिर विवाद काफी बरसों से चल रहा है। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में एक राजनीतिक रैली के बाद कार सेवकों ने विवादित इलाके में बनी बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था। इस मामले में 30 सिंतबर 2010 को इलाहबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई कर 2.77 एकड़ जमीन का बंटवारा कर तीन हिस्सों में बांटा था। इसमें एक हिस्सा हिंदू महासभा को दिया, जिस पर राम मंदिर बनना था। दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड को और तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दी गई। हालांकि बाद में हाईकोर्ट के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया था।
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