नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने फिल्म ह्यपद्मावतीह्ण को लेकर उच्च पदों पर आसीन लोगों द्वारा की गयी टिप्पणियोंको गंभीरता से लेते हुए आज कहा कि यह बयान फिल्म के संबंध में पहले से धारणा बनाने जैसे हैं क्योंकि सेंसर बोर्ड ने अभी तक उसेप्रमाणित नहीं किया है।प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने विदेश मेंफिल्म की रिलीज रोकने का निर्देश निमार्ताओं को देने की मांग करने वाली ताजा याचिका खारिज कर दी।याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता एम. एल. शर्मा ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह सीबीआई को निर्देशक संजय लीला भंसाली और अन्य लोगों के खिलाफ मानहानि और सिनेमैटोग्राफी कानून के उल्लंघन का मामला दर्ज करने का निर्देश दे। पीठ ने शर्मा की ओर से दायर ताजा याचिका पर कहा कि न्यायालय ऐसी फिल्म पर पहले से धारणा नहीं बना सकता , जिसे अभी सेंसर बोर्ड से प्रमाणपत्र नहीं मिला है। नाराज पीठ ने, हालांकि, शर्मा पर इस तथ्य के मद्देनजर जुमार्ना नहीं लगाया कि वह शीर्ष न्यायालय में अधिवक्ता हैं।