नयी दिल्ली. अजा/ अजजा ( अत्याचार रोकथाम) कानून के प्रावधानों को‘‘ कमजोर’’ करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश पर पुनर्विचार की मांग को लेकर सरकार के भीतर गहन मंथन के बीच संकेत हैं कि सामाजिक न्याय मंत्रालय कदम के पक्ष में है।
मंत्रालय का मानना है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश से कानून के असली मकसद को झटका लग सकता है। इस कानून के तहत अजा/ अजजा समुदायों के खिलाफ अत्याचार के पीड़ितों को त्वरित इंसाफ सुनिश्चित करना है। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने भाजपा प्रमुख अमित शाह, कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद और वित्त मंत्री अरूण जेटली से मुद्दे पर चर्चा की।
इस संबंध में अंतिम फैसला लेने की जिम्मेदारी जेटली को सौंपी गयी है। मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया, ‘‘सामाजिक न्याय मंत्रालय इस संबंध में विधि मंत्रालय से राय मांग सकता है।’’ भाजपा के दलित सांसद उदित राज उच्चतम न्यायालय के आदेश के खिलाफ मुखर तरीके से बोल चुके हैं और सरकार से इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का अनुरोध किया है। सांसद ने कहा कि उन्हें अवगत कराया गया है कि मामले को विधि मंत्रालय के पास भेजा गया है।
उच्चतम न्यायालय ने 20 मार्च को इस कानून के तहत तत्काल गिरफ्तारी से संबंधित सख्त प्रावधानों को कमजोर किया था।