Supreme Court will study documents submitted by CBI against Karti Chidambaram
Peter-Indrani Mukherjee's Confession: Chidambaram asked us to help Karti's business

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम के खिलाफ आईएनएक्स मीडिया लि को विदेश से धन प्राप्त करने के लिये एफआईपीबी की मंजूरी में कथित अनियमितताओं के मामले में जांच को लेकर केन्द्रीय जांच ब्यूरो द्वारा पेश गोपनीय रिपोर्ट का अवलोकन करने का आज निश्चय किया। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि वह कार्ति चिदंबरम और अन्य की आशंकाओं को दूर करते हुये जांच एजेन्सी द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेजों का खुले न्यायालय में अवलोकन करेगी। पीठ ने जांच एजेन्सी की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह नौ नवंबर को या इससे पहले ये दस्तावेज पेश करें। शीर्ष अदालत इन दस्तावेज को देखने के लिये उस समय सहमत हो गयी जब मेहता ने कहा कि यदि न्यायालय इनका अवलोकन करके कोई राय नहीं बनाता है तो यह न्याय का उपहास होगा।

मेहता ने कहा, ‘‘क्या जांच एजेन्सी को न्यायालय द्वारा कोई राय बनाने से पहले इन साक्ष्यों पर गौर करने का अनुरोध करना होगा? मेरा अनुरोध है कि कृपया कोई भी राय बनाने से पहले इन दस्तावेजों पर गौर कर लें।’’ जांच एजेन्सी ने 15 मई को एक प्राथमिकी दर्ज की जिसमें आरोप लगाया गया है कि 2007 में जब कार्ति के पिता केन्द्रीय वित्त मंत्री थे, उस समय आईएनएक्स मीडिया लि को विदेश से 305 करोड रूपए की धनराशि प्राप्त करने के लिये विदेशी संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी में अनियमिततायें हुयी हैं। मामले की सुनवाई शुरू होते ही कार्ति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायालय से अनुरोध किया कि लुक आउस सर्कुलर के मामले में कोई भी आदेश पारित किया जाये क्योंकि यह मामला तीन महीने से भी अधिक समय से लटका हुआ है। उन्होंने कहा कि कार्ति को ब्रिटेन के एक विश्वविद्यालय में 10 नवंबर को ‘पाकिस्तान में कानून का शासन’ विषय पर व्याख्यान देने जाना है परंतु इस मामले की वजह से उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया है।

मेहता ने इस दलील का विरोध किया और कहा कि यह समझ से परे है कि ‘पाकिस्तान में कानून का शासन’ विषय पर व्याख्यान कैसे महत्वपूर्ण होगा । उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि कार्ति को जांच लंबित होने के दौरान विदेश यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती है। मेहता ने कार्ति का हलफनामा पढ़ते हुये कहा कि सीबीआई ‘इतनी गैरजिम्मेदार’ नहीं हो सकती कि वह अपने साक्ष्य के रूप में मीडिया की खबरों को शामिल करे। उन्होंने आरोप लगाया कि इन्द्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी के माध्यम से आईएनएक्स मीडिया और एडवान्टेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्रा लि के बीच लेन देने के साक्ष्य हैं। सिब्बल ने इसका विरोध करते हुये कहा कि न्यायालय को इस रिपोर्ट का अवलोकन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह न्यायाधीशों को अपनी राय बनाने का अवसर प्रदान करेगा।

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