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जयपुर। समलैंगिता पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया है। आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि समलैंगिता अपराध नहीं है। कोर्ट ने आईपीसी की धारा 377 के उस हिस्से को अपराध श्रेणी से बाहर कर दिया है, जिसमें यह है कि समान लिंग वालों का सहमति से शारीरिक रिश्ता बनाना अपराध है। पांच जजेज की ैबैंच ने फैसले में कहा कि समलैंगिता अपराध नहीं है। दो बालिग बंद कमरे में सहमति से कोई संबंध बनाते हैं तो वह अपराध नहीं माना जाएगा। सीजेआई दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच जजेज की बैंच ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए गुरुवार को यह फैसला सुनाया। सीजेआई दीपक मिश्रा ने कहा कि समलैंगिक समुदाय को भी आम नागरिकों की तरह समान अधिकार हासिल हैं। समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखना बेतुका है। गौरतलब है कि 2009 में दिल्ली हाईकोर्ट ने सहमति से समलैंगिक संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले को पलटते धारा.377 के तहत समलैंगिकता को अपराध करार दिया। अब पांच जज की बैंच ने इसे अपराध से बाहर कर दिया है।

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