-श्रीकरणपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रुपिंदर सिंह ने 11 हजार वोटों से हराया
श्रीगंगानगर. राजस्थान में विधायक चुने जाने से पहले मंत्री बनाए गए सुरेंद्र पाल सिंह टीटी चुनाव हार गए हैं। श्रीकरणपुर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को कांग्रेस के रुपिंदर सिंह कुन्नर ने 11 हजार 261 वोटों से हरा दिया है। यह नतीजे सोमवार को आए। गौरतलब है कि सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को विधायक बनने से पहले ही भाजपा ने सरकार में राज्य मंत्री बना दिया था। राजस्थान में ऐसा पहली बार हुआ है, जब विधायक बनने से पहले मंत्री बने नेता चुनाव हार गए हों। नवंबर में हुए राजस्थान के विधानसभा चुनाव में श्रीकरणपुर सीट पर चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के निधन के कारण टाल दिया गया था। जीत के बाद रुपिंदर कुन्नर भावुक हो गए। उन्होंने पिता गुरमीत की तस्वीर के आगे मत्था टेका तो रो पड़े। उन्होंने कहा कि यह चुनाव सरदार गुरमीत सिंह कुन्नर ही लड़ रहे थे। इधर, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने रुपिंदर सिंह कुन्नर को जीत की बधाई देते हुए कहा कि यह जनादेश भाजपा की तानाशाही पर तमाचा है। वहीं, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि हार के कारणों की समीक्षा करेंगे। कुन्नर को 94761 और टीटी को 83500 वोट मिले। डॉ. भीमराव अंबेडकर गवर्नमेंट पीजी कॉलेज में आज काउंटिंग हुई थी। इस सीट पर 5 जनवरी को मतदान हुआ था। चुनाव जीतने से पहले ही भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को भजनलाल सरकार में मंत्री बनाने से यह सीट चर्चा में बनी हुई थी। परिणाम से तय हो गया कि अब टीटी मंत्री पद पर बरकरार नहीं रहेंगे। इस चुनाव परिणाम पर पूरे प्रदेश की नजरें टिकी थीं। 18 राउंड में मतगणना पूरा हुआ था। टीटी पहले दो राउंड में आगे थे, लेकिन तीसरे राउंड से लगातार पीछे होते चले गए थे। टीटी को विधायक बनने से पहले भजनलाल सरकार में राज्यमंत्री(स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया था और चार अहम विभाग भी दिए गए थे। इस मामले में कांग्रेस नेताओं ने चुनाव आयोग में आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत दर्ज कराई थी। भाजपा के सत्ता में आने के बाद भजनलाल सरकार की यह पहली बड़ी परीक्षा थी। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि सरकार को बने हुए एक महीना हो गया है, लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही थी। सिर्फ कांग्रेस सरकार की योजनाओं के नाम बदलने का काम कर रही थी और लोगों को बेरोजगार कर रही थी। जनता ने यह बता दिया कि सरकार मंत्री बना सकती है, लेकिन विधायक नहीं बना सकती है। सरकार दिल्ली से जो पर्ची लाकर चल रही है, उसे बंद करें और जनता की भावना के अनुरूप फैसले करें। विधानसभा चुनाव में हार के बाद यह सवाल उठाया जा रहा है कि अब टीटी मंत्री रहेंगे या नहीं? नियमानुसार कोई भी भारतीय नागरिक बिना विधायक बने छह महीने तक मंत्री बने रह सकता है। टीटी विधानसभा चुनाव हार गए हैं, इसलिए भाजपा और टीटी पर मंत्री पद छोड़ने का नैतिक दबाव रहेगा, लेकिन कानूनन वे छह महीने तक मंत्री बने रह सकते हैं। फिलहाल मंत्री बने उन्हें 8 दिन ही हुए हैं। उन्होंने अब तक कार्यभार भी नहीं संभाला था। सब कुछ भाजपा नेतृत्व पर निर्भर करेगा कि वह टीटी को मंत्री पद पर बनाए रखना चाहता है या नहीं।
– तीसरे राउंड से पीछे चल रहे थे टीटी
डॉ. भीमराव अंबेडकर गवर्नमेंट पीजी कॉलेज में आज काउंटिंग हुई थी। इस सीट पर 5 जनवरी को मतदान हुआ था। चुनाव जीतने से पहले ही भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को भजनलाल सरकार में मंत्री बनाने से यह सीट चर्चा में बनी हुई थी। परिणाम से तय हो गया कि अब टीटी मंत्री पद पर बरकरार नहीं रहेंगे। इस चुनाव परिणाम पर पूरे प्रदेश की नजरें टिकी थीं। 18 राउंड में मतगणना पूरा हुआ था। टीटी पहले दो राउंड में आगे थे, लेकिन तीसरे राउंड से लगातार पीछे होते चले गए थे।
टीटी को विधायक बनने से पहले भजनलाल सरकार में राज्यमंत्री(स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया था और चार अहम विभाग भी दिए गए थे। इस मामले में कांग्रेस नेताओं ने चुनाव आयोग में आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत दर्ज कराई थी। भाजपा के सत्ता में आने के बाद भजनलाल सरकार की यह पहली बड़ी परीक्षा थी।
– एक महीने से सरकार कुछ नहीं कर रही: डोटासरा
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि सरकार को बने हुए एक महीना हो गया है, लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही थी। सिर्फ कांग्रेस सरकार की योजनाओं के नाम बदलने का काम कर रही थी और लोगों को बेरोजगार कर रही थी। जनता ने यह बता दिया कि सरकार मंत्री बना सकती है, लेकिन विधायक नहीं बना सकती है। सरकार दिल्ली से जो पर्ची लाकर चल रही है, उसे बंद करें और जनता की भावना के अनुरूप फैसले करें।
विधानसभा चुनाव में हार के बाद यह सवाल उठाया जा रहा है कि अब टीटी मंत्री रहेंगे या नहीं? नियमानुसार कोई भी भारतीय नागरिक बिना विधायक बने छह महीने तक मंत्री बने रह सकता है। टीटी विधानसभा चुनाव हार गए हैं, इसलिए भाजपा और टीटी पर मंत्री पद छोड़ने का नैतिक दबाव रहेगा, लेकिन कानूनन वे छह महीने तक मंत्री बने रह सकते हैं। फिलहाल मंत्री बने उन्हें 8 दिन ही हुए हैं। उन्होंने अब तक कार्यभार भी नहीं संभाला था। सब कुछ भाजपा नेतृत्व पर निर्भर करेगा कि वह टीटी को मंत्री पद पर बनाए रखना चाहता है या नहीं।

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