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नई दिल्ली। आखिर टाडा कोर्ट ने मुंबई बम ब्लास्ट के दोषियों को सजा सुना ही दी। काफी समय से इस केस पर मीडिया और देश की नजर थी। लोग यह जानना चाह रहे थे कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को दहलाने वाले आरोपियों को टाड़ा कोर्ट किस तरह की सजा सुनाएगी। सजा सुनकर लोगों ने संतोष तो जाहिर किया है मगर वह वक्त नहीं भूल सकते जिस दिन मुंबई में सिरियल ब्लास्ट कर देश को हिला के रख दिया था। मुंबई 1993 सीरियल बम ब्लास्ट केस पर सुनवाई कर रहे टाडा कोर्ट ने अबू सलेम समेत सभी दोषियों पर अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने इस केस के प्रमुख आरोपी अबू सलेम को 25 साल की सजा सुनाई है, साथ ही उस पर दो लाख रुपये का जुमार्ना लगाया है।
मुंबई को बम धमाकों से दहलाने वालों में शामिल दूसरे दोषी ताहिर मर्चेंट और फिरोज खान को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है, जबकि करीमुल्लाह को उम्रकैद और रियाज सिद्दकी को 10 साल की सजा सुनाई गई है।

साजिश और हत्या के आरोप में दोषी पाए गए करीमुल्लाह पर 2 लाख रुपये का जुमार्ना भी लगाया गया है। बता दें कि अबू सलेम पर आतंकियों को हथियार मुहैया कराने का आरोप लगा था, जिसके बाद टाडा कोर्ट ने उसे दोषी करार दिया। आॅनलाइन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोर्ट रूम में जहां उम्रकैद की सजा पाया करीमुल्लाह धार्मिक ग्रंथों को पढ़ रहा था, वहीं अबू सलेम को हंसते हुए देखा गया। ऐसा माना जा रहा है कि वो टाडा कोर्ट के फैसले के खिलाफ जल्द ही सुप्रीम कोर्ट की ओर रूख करने वाला है। इससे पहले यह तय हुआ था कि अबू सलेम को लेकर कई शर्ते तय हुई थीं, जिनमें पहला ये था कि अबू सलेम को 25 साल से ज्यादा की सजा नहीं सुनाई जाएगी। साथ ही इस फैसले के बाद उसके खिलाफ किसी मामले की सुनवाई शुरू नहीं की जाएगी। बता दें कि मुंबई सीरियल ब्लास्ट के मामले में विशेष टाडा अदालत ने अबू सलेम समेत छह आरोपियों को दोषी करार दिया था।

इन दोषियों में से एक मुस्तफा दौसा की मौत हो चुकी है। पहले सजा सुनाने की तारीख 22 जून तय की गई थी लेकिन, उसके बाद 7 सितंबर की तिथि मुकर्रर की गई है। 1993 के मुंबई सीरियल बम धमाका केस में टाडा की स्पेशल कोर्ट ने अबू सलेम, मुस्तफा दौसा, फिरोज अब्दुल राशिद खान, ताहिर मर्चेंट, करीमुल्ला शेख और रियाज सिद्दीकी को दोषी करार दिया था, जबकि अब्दुल कय्यूम को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था। मुस्तफा दोसा की मौत के चलते विशेष टाडा कोर्ट अब पांच दोषियों के खिलाफ सजा सुनाएगी। मालूम हो कि इस मामले में साल 2006 में सबसे बड़ा फैसला आया था जब 123 दोषियों में से 100 को सजा सुनाई गई थी और 23 लोग बरी हो गए थे। इसी दौरान याकूब मेमन को फांसी की सजा सुनाई गई थी, जिसे साल 2015 के जुलाई महीने में फांसी दे दी गई थी। इस सिलसिलेवार बम धमाके में 257 लोगों की मौत हुई थी और 713 लोग घायल हुए थे।

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