नई दिल्ली । आज सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए देश में एक मिसाल कायम की है और मुस्लिम महिलाओं के लिए आजाद वातावरण मुहैया कराने की पहल की है। जिसकी अधिकतर लोग तारीफ कर रहे हैं। काफी दिनों से इस मुद्दे पर काफी बहस चल रही थी। की तीन तलाक जायज या ना नहीं इस बात पर सुप्रीमकोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला सुनाया।  कोर्ट ने एक साथ तीन तलाक को असंवैधानिक करार देते हुए तीन तलाक पर 6 महीने तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि इस मामले में वह संसद में कानून बनाए।
 क्या कहा कोर्ट नेएक साथ तीन तलाक असंवैधानिक। सुप्रीम कोर्ट ने तीन – दो के बहुमत से सुनाया फैसला।  मुख्य न्यायधीश जेएस खेहर और जस्टिस अब्दुल नजीर ने कहा ये 1400 साल पुरानी प्रथा और मुस्लिम धर्म का अभिन्न हिस्सा। कोर्ट नहीं कर सकता रद। जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आरएएफ नारिमन और जस्टिस यूयू ललित ने एक बार मे तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया और इसे खारिज कर दिया। तीनों जजों ने 3 तलाक को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करार दिया। जजों ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार देता है।
जस्टिस नजीर और चीफ जस्टिस खेहर ने नहीं माना था असंवैधानिक। चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस नजीर ने अल्पमत में दिए फैसले में कहा कि तीन तलाक धार्मिक प्रैक्टिस है, इसलिए कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा। दोनों ने कहा कि तीन तलाक पर छह महीने का स्टे लगाया जाना चाहिए, इस बीच में सरकार कानून बना ले और अगर छह महीने में कानून नहीं बनता है तो स्टे जारी रहेगा। हालांकि, दोनों जजों ने माना कि यह पाप है।अगर 6 महीने के अंदर तीन तलाक पर कानून नहीं लाया जाता है तो तीन तलाक पर रोक जारी रहेगी।वहीं कोर्ट के निर्णय पर सरकार की तरफ से प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में अच्छा फैसला है।
आपको बता दें कि इस मामले की शुरूआत तब हुई थी जब उत्तराखंड के काशीपुर की शायरा बानो ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर तीन तलाक और निकाह हलाला के चलन की संवैधानिकता को चुनौती दी थी। कोर्ट के फैसले से पहले तीन तलाक की पीड़िता और याचिकाकर्ता शायरा बानो ने कहा कि मुझे लगता है कि फैसला मेरे पक्ष में आएगा। समय बदल गया है और एक कानून जरूर बनाया जाएगा। पूर्व अटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह एक बड़ा दिन है, देखते हैं कि क्या फैसला आता है। मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर की पीठ ने एक बार में तीन तलाक की वैधानिकता पर बहस सुनी। इस पीठ की खासियत यह भी है कि इसमें पांच विभिन्न धर्मों के अनुयायी शामिल हैं।
हालांकि यह बात मायने नहीं रखती, क्योंकि न्यायाधीश का कोई धर्म नहीं होता। कोर्ट ने शुरूआत में ही साफ कर दिया था कि वह फिलहाल एक बार में तीन तलाक पर ही विचार कर रहा है। बहुविवाह और निकाह-हलाला पर बाद में विचार किया जाएगा।

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