Modi's sensitivity to GST rates: Singh

delhi.केन्‍द्रीय वित्‍त, कॉरपोरेट मामले, रेल और कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने आज संसद में अंतरिम बजट 2019-20 पेश करते हुए कहा कि वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े सुधारों के परिणामस्‍वरूप कर आधार के साथ-साथ कर संग्रह भी बढ़ गया है और कारोबार करना आसान हो गया है। उन्‍होंने कहा, ‘जीएसटी से जुड़े सुधार पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान लगभग एक दशक तक अटके रहे। हमारी सरकार ने जीएसटी लागू किया है जो नि:संदेह आजादी के बाद सबसे बड़ा कर सुधार है।

केन्‍द्र सरकार एवं राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों की सरकारों द्वारा लगाए गए ऐसे 17 विभिन्‍न करों को जीएसटी में समेकित किया गया है जिनके कारण दोहरा टैक्‍स लगता था। उन्‍होंने कहा कि भारत अब एक बाजार में तब्‍दील हो गया है। जीएसटी से कर आधार के साथ-साथ कर संग्रह भी बढ़ गया है और कारोबार करना आसान हो गया है। इससे दैनिक कार्यों और कर निर्धारण के लिए करदाताओं एवं सरकार के बीच आपसी संपर्क कम हो जाएगा। श्री गोयल ने कहा कि अब रिटर्न पूरी तरह से ऑनलाइन हो गए हैं और इसके साथ ही ई-वे बिल प्रणाली भी परिचालन में आ चुकी है। कोई प्रवेश कर, चेक पोस्‍ट और ट्रकों की लंबी-लंबी कतारें अब नहीं रहने से वस्‍तुओं की अंतर-राज्‍य आवाजाही तेज, ज्‍यादा प्रभावकारी और बाधा रहित हो गई है।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘जीएसटी पूर्व व्‍यवस्था में अनेक वस्‍तुओं पर लगने वाले भारी-भरकम कर बोझ को तर्कसंगत बना दिया गया है और उपभोक्‍ताओं, विशेषकर गरीबों एवं मध्‍यम वर्ग पर भार अब काफी कम हो गया है।’ केन्‍द्र एवं राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों की भागीदारी वाली जीएसटी परिषद ने सामूहिक रूप से जीएसटी दरों को अंतिम रूप दिया जिनमें से ज्‍यादातर दरें अब जीएसटी-पूर्व दरों से कम हैं। इसके बाद से ही जीएसटी दरों में निरंतर कमी की गई है जिससे उपभोक्‍ताओं को प्रति वर्ष लगभग 80,000 करोड़ रुपये की राहत मिल रही है। गरीबों और मध्यम वर्ग के दैनिक उपयोग वाली ज्यादातर वस्तुएं अब शून्य अथवा 5 प्रतिशत टैक्स के दायरे में आ गई हैं। सिनेप्रेमियों पर पहले 50 प्रतिशत तक करों का बोझ डाल दिया जाता था, जबकि उन्हें अब पहले की तुलना में प्राय: 12 प्रतिशत टैक्‍स ही अदा करना पड़ता है।

वित्त मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार चाहती है कि घर खरीदने वालों पर जीएसटी का बोझ कम हो जाए। इसे ध्‍यान में रखते हुए हमने जीएसटी परिषद से एक मंत्री समूह गठित करने को कहा है, ताकि वह इस पर गौर करने के साथ-साथ इस बारे में जल्‍द-से-जल्‍द अपनी सिफारिशें पेश कर सके। गोयल ने कहा कि जीएसटी का उद्देश्‍य छोटे व्‍यापारियों, निर्माताओं और सेवाप्रदाताओं को लाभान्वित करना है। छोटे कारोबारियों के लिए जीएसटी से छूट को 20 लाख रुपये से दोगुना कर 40 लाख रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा, 1.5 करोड़ रुपये तक के कारोबार या टर्नओवर वाले छोटे कारोबारियों को एक आकर्षक कंपोजि‍शन स्‍कीम की पेशकश की गई है, जिसके तहत वे केवल 1 प्रतिशत की नियत दर अदा करते हैं और उन्‍हें केवल एक वार्षिक रिटर्न दाखिल करना पड़ता है। इसी तरह 50 लाख रुपये तक के कारोबार वाले छोटे सेवाप्रदाता अब कंपोजिशन स्‍कीम को अपना सकते हैं और 18 प्रतिशत के बदले सिर्फ 6 प्रतिशत की दर से जीएसटी अदा कर सकते हैं। 35 लाख से भी अधिक छोटे व्‍यापारी, निर्माता और सेवाप्रदाता इन कारोबारी अनुकूल उपायों से लाभान्वित होंगे। श्गोयल ने कहा कि जल्‍द ही कारोबारियों को तिमाही रिटर्न दाखिल करने की अनुमति दी जाएगी जिनमें 90 प्रतिशत से भी अधिक जीएसटी भुगतानकर्ता शामिल होंगे।

वित्त मंत्री ने विशेष जोर देते हुए कहा कि दरों में व्‍यापक कटौती करने और ढील देने के बावजूद राजस्‍व संग्रह का रुख अत्‍यंत उत्‍साहवर्धक है। उन्‍होंने कहा, ‘चालू वर्ष में औसत मासिक कर संग्रह 97,100 करोड़ रुपये है, जबकि प्रथम वर्ष में यह आंकड़ा 89,700 करोड़ रुपये था। प्रथम पांच वर्षों के दौरान राजस्‍व में 14 प्रतिशत वार्षिक की निश्चित बढ़ोतरी से सरकार के राजस्‍व में वृद्धि हो रही है।’

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