जयपुर। शिकायत के बाद भी टेलीफोन को ठीक नहीं करना भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को महंगा पड़ गया। उपभोक्ता मामलात की स्थायी लोक अदालत ने इसे सेवादोष मानते हुए बीएसएनएल पर बिल की राशि समेत 48 हजार 650 रुपए का हर्जाना लगाया है। लोक अदालत के अध्यक्ष डी.पी. शर्मा, सदस्य पी.के. भाटिया और औंकार सिंह ने आदेश में कहा कि बीएसएनएल प्रार्थी शकील उद्दीन खान निवासी मनिहारों का रास्ता, त्रिपोलिया बाजार जयपुर को दो माह में मानसिक संताप के पेटे 11 हजार रुपए, क्षतिपूर्ति पेटे 25 हजार रुपए, परिवाद खर्चा पेटे 11 हजार एवं बिल के रुप में अवैध वसूले 1650 रुपए अदा करे। परिवादी ने स्थाई लोक अदालत में परिवाद पेश कर बताया कि उसने घर पर विपक्षी कम्पनी का लैण्ड लाईन कनेक्शन ले रखा है। 15 अक्टूबर, 2015 को टेलीफोन डेड हो गया। जिसकी सबसे पहले 17 अक्टूबर को शिकायत दर्ज कराई। बाद में 8 बार और शिकायतें दर्ज कराई, लेकिन बीएसएनएल ने इसे सुधारा नहीं। टेलीफोन डेड होने के बाद भी उसे निरन्तर बिल भेजे गए। 20 मार्च को टेलीफोन ठीक किया गया। 20 सितम्बर को कोर्ट में परिवाद पेश किया गया। 17 दिन में ही कोर्ट ने सुनवाई पूर्ण कर 7 अक्टूबर को उसके पक्ष में फैसला सुना दिया।