जयपुर। देश भर में महिलाओं पर अत्याचार तथा घरेलू हिंसा, यौन हिंसा आदि का प्रमुख कारण शराब ही है। ये शब्द सामाजिक कार्यकर्त्ता मेधा पाटकर ने कहे। वे आज राजा पार्क,जयपुर स्थित आर्यसमाज मंदिर के प्रांगण में आयोजित विशाल जन-सभा को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि सभी धर्म गुरुओं, महापुरुषों और संतों ने सदैव शराब सहित हर प्रकार के नशे का विरोध किया है तथा अनेक साधू संतों ने इसे बंद कराने के लिए संघर्ष किया है। उन्होंने कहा कि देहात और कच्ची बस्तियों में 40-50 वर्ष की अधिकांश महिलाओं के विधवा होने का भी मुख्य कारण शराब तथा नशा ही है। उन्होंने राज्य में शराबबंदी की मांग के लिए 33 दिन अनशन कर अपने प्राणों की आहुति देने वाले गुरुशरण छाबड़ा की शहादत के लिए राज्य सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा कि हम राज्य सरकार का धिक्कार करते हैं। उन्होंने कहा कि देश में शराब बंद होने तक यह आन्दोलन जारी रहेगा। सुश्री मेधा पाटकर ने देश भर में शराब के विरुद्ध जन-जागरण का कार्य शुरु कर दिया है। उन्होंने गत 23 जनवरी को साबरमती आश्रम से नशाबंदी यात्रा प्रारम्भ की, जो राजस्थान में 25 जनवरी को डूंगरपुर तथा 26 जनवरी को उदयपुर होते हुए 27 जनवरी को जयपुर पहुँची. जहाँ यात्रा का भव्य स्वागत किया गया।  नशामुक्त भारत आंदोलन के एक और नेता तथा पूर्व विधायक डा. सुनीलम ने कहा कि देश में औसतन हर शराब पीने वाला 2 से 3 हज़ार रुपयों की शराब हर माह पी जाता है, इस प्रकार 75 हज़ार करोड़ रुपयों की शराब एक महीने में पी ली जाती है जिसके कारण देश भर में प्रति वर्ष 10 लाख लोग मरते हैं। राजस्थान में ही 2500 मौतें हर वर्ष केवल शराब के कारण होती हैं। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक काला धन शराब के माध्यम से पैदा होता है। सभी पार्टियाँ शराब बंद करने पर राजस्व के घाटे का पुराना तर्क देती हैं, वास्तविकता यह है कि पार्टियों के बजट में सबसे बड़ा योगदान शराब व्यापारियों का होता है, इसीलिये वे शराब पर रोक नहीं लगाते।
इस अवसर पर पूर्व न्यायमूर्ति पाना चंद जैन, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लाड कुमारी जैन, प्रदेश संयोजक सवाई सिंह सहित प्रदेश के कई जाने-माने नेताओं ने अपने विचार व्यक्त किये। पानाचंद जैन ने शराब बंदी के क़ानूनी पहलुओं पर चर्चा करते हुए बताया कि एक बार प्रदेश में शराबबंदी लागू हो जाने के बाद पुनः उसे हटा देना संविधान का अपमान है।
जयपुर से दोपहर बाद प्रस्थान कर मेधा पाटकर तथा उनके 18 साथियों ने अलवर के लिए प्रस्थान किया जहाँ वे शराबबंदी के लिए आयोजित एक रेली को सम्बोधित करेंगी तथा इसके बाद वे अपने कार्यकर्त्ताओं सहित उत्तरप्रदेश के लिए रवाना होंगी।

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