The case of corruption in the investigation of corruption of corruption: 8 years later the accused ASI was acquitted by the court

तत्कालीन एएसपी आशाराम चौधरी ने किया था अनुसंधान
जयपुर। भ्रष्टाचार के अपराध के अनुसंधान में भी भ्रष्टाचार होने के मामले में एसीबी मामलों की विश्ोष अदालत क्रम-3 में जज सतीश कुमार ने 13 नवम्बर, 2००9 को 4 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किये गये अशोक नगर थाने के तत्कालीन एएसआई गण्ोश सिंह जाट निवासी गोविन्दपुरा-खण्डेला, सीकर को सन्देह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। इस मामले की दूषित जांच करने का आरोप एसीबी के तत्कालीन एएसपी आशाराम चौधरी पर लगा है। कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि मामले में परिवादी एवं अभियुक्त के मोबाईल फोन को अदालत में साबित ही नहीं कराया गया है। एसीबी के मामलों में सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य 65 बी का प्रमाण पत्र इस फाईल में लगाया ही नहीं और ना ही ट्रायल के समय कोर्ट में पेश किया गया। जिससे प्रकरण में सत्यापन का कोई महत्व ही नहीं रहा। जांच अधिकारी ने कम्प्यूटर ऑपरेटर रमेश चन्द को गवाह ही नहीं बनाया। ट्रेप करने वाला एवं जांच करने वाला एसीबी अधिकारी एक ही चौकी पर कार्यरत थे। सम्पूर्ण सीडी कोर्ट में चल ही नहीं पाई। थाने में दर्ज मुकदमें में पीडित इन्द्रजीत सिंह एवं ट्रेप के समय कार में मौजूद रहे आशिफ कुरेशी से जांच अधिकारी ने ना तो कोई पूछ-ताछ की और ना ही उनको साक्ष्य में रखा। जो अभियोजन के लिए घातक साबित हुई।

यह था मामला

21 अक्टूबर, 2००9 को सी-स्कीम स्थित मिस्टर बीन्स कॉफी पर चाकू से वार कर जानलेवा हमला करने के आरोपी सन्नी उर्फ अब्दुल हमीद एवं शहनवाज को गिरफ्तार करने की एवज में आईओ गण्ोश सिंह ने परिवादी से 1० हजार रुपए रिश्वत के मांगे। इस संबंध में कपिल शर्मा ने एसीबी में रिपोर्ट दी। सत्यापन में गण्ोश सिंह ने 5 हजार रुपए ले लिए। 4 हजार रुपए और लेने गण्ोश सिंह अशोक नगर थाने के बाहर आकर परिवादी की कार में बैठकर राशि पेंट की जेब में रख ली थी। पेंट की जेब से जब्त किये गये रुपयों के बारे में एसीबी के पूछने पर गण्ोश सिंह ने कहा था कि रुपए नहीं मांगे। जबरदस्ती खर्चा-पानी के दिए है।

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