Court ordered

जयपुर । अदालत के बकाया भुगतान करने का एवं बाद में संपति कुर्क करने के आदेश देने के बाद भी आदेश की पालना नहीं होने पर एडीजे-10 कोर्ट में जज भूपेन्द्र कुमार सनाढय ने सेल अमीन को विपक्षी की कुर्कशुदा सम्पति समेकित बाल विकास सेवायें, जल पथ, गांधीनगर का कब्जा लेकर ताला लगाकर उसकी चाबी न्यायालय में 20 जनवरी तक जमा कराने के आदेश दिये है। याची मुरलीवाला एग्रोटेक की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आदेश में कहा कि यदि कुर्कशुदा सम्पति में महिला एवं बाल विकास विभाग का कोई सामान या अभिलेख पडा है तो सामान को हटाने के लिए दो दिन का समय विभाग को सेल अमीन अपने स्तर पर प्रदान करें। यदि उसे पुलिस इमदाद की आवश्यकता हो तो पुलिस इमदाद भी सेल अमीन प्राप्त कर सकेगा।

वकील डिक्रीदार रामावतार तमालिया ने कोर्ट को बताया कि फर्म आंगनबाडी केन्द्गों में पोषाहार वितरण का कार्य करती थी। 2007 में केन्द्र सरकार के न्यूट्रिशियन बोर्ड ने सामान के नमूनें लिये थ्ो। फर्म ने करीब 26 लाख रुपए अण्डर प्रोटेस्ट राशि जमा कराई थी। बाद में मध्यस्थ ने न्यूट्रिशियन बोर्ड को नमूनें लेने का अधिकारी नहीं मानते हुए अण्डर प्रोटेस्ट राशि लौटाने के आदेश दिए। विभाग ने मूल राशि तो लौटा दिया, लेकिन ब्याज के बकाया करीब 18 लाख रुपए का भुगतान नहीं किया। इजराय पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 27 जनवरी, 2017 को फर्म के पक्ष में अवार्ड पारित किया था। राशि का भुगतान नहीं करने पर कोर्ट 6 नवम्बर, 2017 को विपक्षी विभाग की सम्पति कुर्क कर चुकी है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि गत तारीख पेशी पर विभाग ने राशि अदायगी के लिए 15 दिन का समय चाहा था। डिक्रीदार ने कोर्ट में अर्जी पेश कर कहा कि सरकारी ऑफिस होने से स्वतंत्र बोलीदाता के आने की संभावना नगन्य होना बताकर स्वयं को निलामी कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति प्रदान किये जाने की प्रार्थना की। कोर्ट ने डिक्रीदार के संदेह को उचित मानते हुए आदेश में कहा कि यदि सम्पति का कब्जा कोर्ट द्बारा लिया जाकर बाद में निलामी कार्यवाही की जाती है तो सम्पति की उचित कीमत प्राप्त हो सकेगी एवं स्वतंत्र बोलीदाताओं के आने पर उचित प्रतियोगिता से सर्वाधिक राशि प्राप्त हो सकती है। इसलिये कब्जा लिये जाने के बाद ही उसे निलाम किया जाना उचित है।

 

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