9 माह बाद दर्ज करवा कर 22.80 लाख रुपए का मांगा दुर्घटना क्लेम, कोर्ट ने फर्जी मानते हुए किया खारिज
जयपुर। 56 साल के सिपाही को एफआईआर की महत्ता का पता नहीं होने के मामले में उसकी ओर से पेश किये गये 22,80,000 रुपए के दुर्घटना क्लेम को एमएसीटी कोर्ट में जज नरेन्द्र कुमार शर्मा ने फर्जी मानते हुए खारिज कर दिया। कोर्ट ने आदेश में देरी से एफआईआर दर्ज कराने को असाधारण, अस्वाभाविक तथा असामान्य विलम्ब कहा है। स्वस्थ होने के 3 माह 7 दिन तक कोई आपराधिक कार्यवाही संस्थित नहीं करने को भी कोर्ट ने अस्वाभाविक आचरण कहा है।
इस संबंध में 56 वर्षीय सोहन सिंह निवासी मुकाम पोस्ट बारिजा, दांतारामगढ-सीकर हाल रिजर्व पुलिस लाईन, जयपुर ग्रामीण, जल महल, जयपुर ने 2011 में स्कूल बस चालक कानाराम निवासी मण्डा सुरेरा, सीकर, मालिक सचिव सरस्वती विद्या मंदिर, दांतारामगढ एवं प्रबंधक नेशनल इंश्योंरेस कं. लि. एमआई रोड के खिलाफ दुर्घटना क्लेम किया था। चालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज होकर चालान पेश होने पर कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता स्वयं एक पुलिस कर्मी है और उसके द्बारा आपराधिक कार्यवाही संस्थित करायी गयी है। विपक्षी चालक के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किया जाना मोटर दुर्घटना का निश्चात्मक प्रमाण नहीं है।
यह है मामला:-
22 मार्च, 2010 को याची अपने गांव के बस स्टेण्ड पर दातारामगढ होते हुए ड्यूटी पर जयपुर जाने के लिए बस का इंतजार कर रहा था। सुबह 6.30-7 बजे एक स्कूल बस ने उसके टक्कर मारी और बायें पैर पर बस का पहियां चढा कर ले गया। रिकार्ड अनुसार उसने 7 माह 22 दिन बाद दातारामगढ की एसीजेएम कोर्ट में 13 नवम्बर को परिवाद पेश किया। जबकि वह स्वस्थ होकर 5 अगस्त को ही ड्यूटी जॉईन कर ली थी। कोर्ट ने 15 नवम्बर को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थ्ो। बीमा कंपनी की दलील थी कि प्रार्थी ने वाहन चालक व स्वामी से साज करके क्लेम प्राप्ति की गरज से सोच समझ कर 9 माह पश्चात उक्त वाहन को लिप्त किया है। लिहाजा फर्जी मुकदमें को खारिज किया जाये।