जयपुर। राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रामेष्वर डूडी ने राज्य के वार्षिक बजट को पूरी तरह दिषाहीन बताया है। डूडी ने कहा है कि अपने पांचवें वर्ष में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रदेष को पूरी तरह निराश किया है। बेहतर होता कि अपने आखिरी वर्ष में मुख्यमंत्री प्रदेश के विकास और जनकल्याण को समर्पित एक संतुलित बजट प्रस्तुत करतीं, जिससे प्रदेश के आमजन को फायदा पहुंचता। लेकिन मुख्यमंत्री ने बुझे मन से बजट प्रस्तुत किया है। डूडी ने कहा कि सदन में ऐसा लग रहा था कि मुख्यमंत्री पढ़ तो बजट रही हैं लेकिन उनका ध्यान कहीं और है। मुख्यमंत्री आज सदन में पूरे मन से नहीं थी। नेता प्रतिपक्ष रामेष्वर डूडी ने बजट के पश्चात अपने राजकीय आवास पर मीडिया से मुखातिब होते हुए विभिन्न मुद्दों पर बजट की खामियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने शायर अदम गोंडवी का एक शेर प्रस्तुत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने फाल्गुन के महीने में एक नीरस बजट पेश किया है।
घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है,
बताओ कैसे लिख दूं धूप फाल्गुन की नशीली है।
किसानों का कर्जा माफी
रामेश्वर डूडी ने कहा कि सरकार को प्रदेश के किसानों का संपूर्ण कर्जा माफ करना चाहिए था। प्रदेशके 61.8 प्रतिशत किसान कर्ज से दबे हुए हैं और किसान निरंतर आत्महत्या कर रहे हंै। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है। प्रदेशमें किसान खाद-बीज के लिए तरस रहे हैं। किसानों का सिर्फ 50 हजार रुपए तक का कर्जा माफ कर सरकार ने प्रदेश के लाखों किसानों के साथ विश्वासघात किया है। डूडी ने कहा कि प्रदेश के किसानों का संपूर्ण कर्जा माफी की घोषणा तक कांग्रेस पार्टी अपना संघर्ष जारी रखेगी।
रोजगार
रामेश्वर डूडी ने कहा कि सुराज संकल्प पत्र में भाजपा ने युवाओं से 15 लाख नौकरियों का वादा किया था। लेकिन चार साल में सिर्फ 1 लाख 10 हजार नौकरियों का रास्ता खोला, उसमें भी करीब 60 हजार नौकरियां कोर्ट में व अन्य कारणों से अटक गई। अब आखिरी वर्ष में सरकार ने करीब एक लाख नौकरियों कर घोषणा की है। लेकिन इन भर्तियों में कोई लेकर कोई सुनिष्चित कार्ययोजना प्रकट नहीं की है। सरकार ने विद्यार्थी मित्रों, होमगार्ड, नर्सिंगकर्मियों, पैराटीचर, दिव्यांगों, आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं सभी को निराश किया है। प्रदेष में अकुषल श्रमिक को न्यूनतम मजदूरी 213 प्रतिदिन निर्धारित है लेकिन आषा सहयोगिनी को 1850 रुपए मासिक की जगह अब 2500 रुपए मासिक मिलेंगे। जो कि उनके साथ अन्याय है।
पेयजल एवं सिंचाई प्रोजेक्ट एवं ऊर्जा
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 37 हजार करोड़ रुपए की पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के पेयजल प्रोजेक्ट की घोषणा की है। यह प्रोजेक्ट चार साल तक फाइलों में दबाकर रखा गया। चुनावी लाभ लेने के लिए अब इसकी डीपीआर की दुहाई दी है, यदि सरकार की नीयत साफ होती तो इस प्रोजेक्ट को चार साल पहले ही धरातल पर लाने के प्रयास करती। उन्होंने कहा कि अगले साल प्रदेष में कांग्रेस की सरकार आयेगी तब इस प्रोजेक्ट की खामियों को दूर कर इसे प्रदेष के हित में प्राथमिकता से लागू करेंगे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह सरकार पूरे चार साल तक अंतर्राज्यीय जल समझौतों के क्रियान्वयन पर नजरें चुराती रही। अब पांचवें साल में इन्होंने इंदिरा गांधी नहर परियोजना, चंबल नहर प्रणाली के जीर्णोद्वार, नर्मदा नदी सिंचाई परियोजना आदि को लेकर कोई एक्षन प्लान प्रदेश के सामने नहीं रखा है। ताजेवाला हेड से चूरू व झुंझुनूं जिलों के लिए पानी लाने की जो 20 हजार करोड़ रुपए की घोषणा की है, उसे धरातल पर कैसे लायेंगे, इसकी कार्ययोजना प्रदेश की जनता को बतानी चाहिए। डूडी ने कहा कि घोषणा करना अलग बात है और उसे अमली जामा पहनाना दूसरी बात है। जिस सरकार ने चार साल कोई काम-धाम नहीं किया वह आगामी चंद महीनों में कुछ नहीं कर सकती। ऊर्जा के क्षेत्र में सरकार फिर दिशाहीन रही है। जयपुर जिले के शाहपुरा में ट्रांसफॉर्मर ब्लास्ट में कई लोगों की मौत हुई लेकिन सरकार ने बिजली तंत्र के रख-रखाव के लिए कोई कार्ययोजना व्यक्त नहीं की, जबकि दो साल पहले टोंक जिले में भी हाईटेंषन लाइनों के बस पर गिरने से बड़ी दु:खांतिका हुई थी।
रिफाइनरी, फ्रेट-कॉरिडोर, मेट्रो
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जैसलमेर से मुंदरा बंदरगाह तक रेल लाइन बिछाने का वादा करने वाली मुख्यमंत्री को मालूम होना चाहिए कि यदि बाड़मेर की रिफाइनरी का काम चार साल पहले शुरू होे जाता तो यह रेल लाइन भी पिछले चार सालों में बिछ जाती। लेकिन अपनी हठधर्मिता से मुख्यमंत्री ने रिफाइनरी प्रोजेक्ट को चार साल तक रोक कर रखा। पिछले चार साल में दिल्ली-मुंबई फ्रेट कॉरिडोर को रोक कर रखा। जयपुर मेट्रो के द्वितीय चरण को लेकर कोई घोषणा नहीं की जबकि द्वितीय चरण आने के बाद ही जयपुर मेट्रो का जन उपयोग सिद्ध होगा। वहीं, बांसवाड़ा-रतलाम-डूंगरपुर रेल प्रोजेक्ट को लेकर मुख्यमंत्री अपने पूर्वाग्रह से इस बार भी मुक्त नहीं हो सकी।
महिलाएं, सामाजिक सुरक्षा योजनाएं
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह बजट चिकित्सा, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और महिलाओं के लिए निराषाजनक है। प्रदेष में एक साल में 70 हजार नवजातों की मौत का एक बड़ा कारण खुद सरकार ने हाईकोर्ट में डॉक्टरों की कमी और कुपोषण स्वीकार किया है। इसके बावजूद प्रदेश में डॉक्टरों की भर्ती नहीं खोली गई जबकि प्रदेष की आबादी के अनुपात में महिला डॉक्टर नगण्य हैं। सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लेकर कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई। प्रदेष का महिला उत्पीड़न में ऊपर से चैथा स्थान होने के बावजूद महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस में महिला अफसरों एवं जवानों की वृद्धि के लिए कोई घोषणा नहीं की गई।
कर्मचारी, व्यापारी, पत्रकार सभी निराश
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ 01.01.2016 से देने की घोषणा करनी चाहिए थी। नोटबंदी व जीएसटी से दबे हुए लाखों छोटे व्यापारियों को उबारने के कोई ठोस प्रयास बजट में प्रस्तुत नहीं किये गये हैं। पत्रकारों के लिए राहत कम और उलझनें अधिक प्रस्तुत की गई हैं। नेता प्रतिपक्ष रामेष्वर डूडी ने कहा कि बजट और भी ढ़ेरों खामियां हैं, जिन्हें लेकर सदन में सरकार को कठघरे में खड़ा किया जाएगा।