जयपुर। प्रदेश की भाजपा सरकार ने विगत ३ वर्ष में घुमंतू वर्ग के लिए जनकल्याण के नाम पर एक रुपया खर्च नहीं किया। ना ही उसके उत्थान को लेकर बजट में कोई जगह दी। यह बात पूर्व राज्यमंत्री गोपाल केसावत ने बाड़मेर के चौहटन में घुमंतू-अद्र्ध घुमंतू वर्ग के राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए कही। केसावत ने कहा कि इस वर्ग की स्थिति जो आजादी के पूर्व थी। उससे कहीं बदतर हालात आज के है। घुमंतू वर्ग आज भी अपनी पहचान को लेकर मोहताज ही है। इस वर्ग के पास न तो पहचान पत्र है न ही आधार कार्ड बना न ही कोई अन्य दस्तावेज। पिछले ३ साल में इस वर्ग के लोगों के लोगों पर अत्याचार का सिलसिला बढ़ा है। इस वर्ग के लोगों के साथ मारपीट, आगजनी सरीखी घटनाएं होती है। लेकिन उन पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होती। इस वर्ग के पास खुद का आवास नहीं है। जिससे ये लोग खुले आसमान तले जीवन यापन करने को मजबूर हैं। वहीं श्मशान के तौर पर भूमि नहीं होने से अंतिम समय भी २ गज जमीन नसीब नहीं हो पाती। शिक्षा की बात हो या फिर स्वास्थ्य की हर स्तर पर हाल बेहाल ही है। अश्वासनों के नाम पर यह वर्ग खुद को उपेक्षित ही महसूस कर रहा है। घुमंतू वर्ग के उत्थान को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बोर्ड का गठन किया। वहीं जनकल्याण की योजनाएं चलाई। लेकिन अब प्रदेश की भाजपा सरकार ने उन योजनाओं पर पूरी तरह विराम ही लगा दिया है। हाल ही बोर्ड के चेयरमैन की नियुक्ति की। लेकिन चेयरमैन के पास खुद का ऑफिस नहीं होने से उनकी स्थिति भी घुमंतू सरीखी ही जान पड़ रही है। राजस्थान में घुमंतू वर्ग के लिए बने बोर्ड का ही परिणाम रहा कि हरियाणा में जहां सरकार ने एडवाइजरी कमेटी का गठन किया तो उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब में इस वर्ग के लिए बोर्ड का गठन किया गया। इस दौरान मंच पर मौजूद वक्ताओं ने एक स्वर में इस वर्ग को राजनीतिक स्तर पर मजबूत करने के लिए आगामी चुनावों में प्रतिनिधित्व देने की मांग की।