सफल रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार के तीन साल, मुख्यमंत्री के तौर पर अशोक गहलोत ने सिद्ध की अपनी प्रशासकीय और राजनीतिक कुशलता, गहलोत सरकार का राज…जनहित के हो रहे काज…
– दुर्गा लाल यादव, वरिष्ठ पत्रकार
jaipur. प्रदेश में अशोक गहलोत सरकार 17 दिसंबर को अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे कर रहे हैं। यह बात अलग है कि इन तीन सालों में दो साल कोरोना महामारी और लॉक डाउन की भेंट चढ़ गए, जिसकी वजह से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते समय अशोक गहलोत ने प्रदेश के विकास की जो कल्पना की थी, उस कल्पना को वे पूरी तरह से साकार नहीं कर पाए लेकिन कठिन और विपरीत परिस्थितियों में भी अशोक गहलोत सरकार ने जिस तरह से प्रदेश में विकास कार्यों को आगे बढ़ाया और कोरोना का श्रेष्ठ प्रबंधन किया, उससे यह कहने में बिल्कुल भी संकोच नहीं हो रहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर अशोक गहलोत सरकार ने अपनी प्रशासकीय और राजनीतिक कुशलता सिद्ध की है। इन 3 सालों में प्रदेश सरकार के समक्ष कई तरह की बड़ी-बड़ी चुनौतियां सामने आई।
सरकार से जुड़े शीर्ष नेताओं ने ही सरकार के अस्तित्व को चुनौती दे डाली, जिसकी वजह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक तरफ अपनी ही पार्टी के कुछ विधायकों की ओर से छेड़े गए संघर्ष से निपटने में काफ ी समय बर्बाद करना पड़ा तो दूसरी तरफ प्रदेश सरकार का पूरा ध्यान कोरोना महामारी से निपटने में ही लगा रहा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद कोरोना की चपेट में आ गए लेकिन इसके बावजूद वे मुख्यमंत्री आवास से बैठे-बैठे ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश भर के जिला कलेक्टर चिकित्सा अधिकारियों, पुलिस, एनजीओ, सामाजिक संगठनों, व्यापारिक संगठनों, सरकारी कर्मचारी संगठनो, विभिन्न दलों के राजनेताओं, विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं इत्यादि सभी से बातचीत कर कोरोना महामारी से कैसे और किस तरह से निपटा जाए। इसके लिए आवश्यक सलाह मशवरा लेते रहे और अपनी ओर से भी प्रदेश भर के चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश देते रहे। महामारी से निबटने के लिए रोजाना समीक्षा करते रहे। जिलेवार कोरोना की हर पल खबर लेते रहे, जिलेवार पीएचसी और सीएचसी स्तर पर कोरोना के मरीजों की उपचार की व्यवस्थाओं की समीक्षा करते रहे और अपनी ओर से आवश्यक दिशा निर्देश भी देते रहे। अशोक गहलोत सरकार ने अपनी पूरी प्रशासकीय ताकत कोरोना महामारी से निपटने में झोंक दी। कोशिश यही रही कि कोरोना महामारी से प्रदेश में किसी की भी मौत नहीं हो और लॉकडाउन से आर्थिक तंगी झेल रहे लोगों को खाने-पीने और रहने में भी परेशानी ना हो। इसके लिए जिला कलेक्टरों को साफ कह दिया कि प्रदेश में एक भी व्यक्ति भूखा नहीं सोए। उनके खाने-पीने और सम्मानजक जीवन यापन की व्यवस्था की गई। इसके फलस्वरूप प्रदेश में कोरोना के बुरे हालात पैदा नहीं हुए। हालांकि कोरोना की दूसरी लहर में प्रदेश में ऑक्सीजन की भारी किल्लत आ गई थी। केंद्र से ऑक्सीजन नहीं मिलने और ऑक्सीजन प्लांट की कमी के चलते एकबारगी चिकित्सा व्यवस्था गड़बड़ाने लगी थी।
इस विषय पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच काफी खींचतान भी रही लेकिन इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुशल प्रबंध करके ऑक्सीजन की समुचित व्यवस्था को भी सुनिश्चित किया। हालांकि वेंटिलेटर और दवाइयों को लेकर केंद्र सरकार से राज्य सरकार की तनातनी चलती रही लेकिन प्रदेश सरकार ने येन केन प्रकारेण कोरोना के मरीजों के उपचार में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं रखी। इसके अलावा कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए गहलोत सरकार ने जो कदम उठाएं उन कदमों को देश की अन्य राज्यों की सरकारों ने भी लागू किया। इतना ही नहीं गहलोत सरकार की ओर से कोरोना काल में उठाए गए कदमों की दुनिया भर में तारीफ हुई। भीलवाड़ा मॉडल की देश-दुनिया में तारीफ हुई। इन सब विषयों को देखते हुए ही पूरे देश में राजस्थान में ही कोरोना के प्रबंधन को सर्वश्रेष्ठ करार दिया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद अशोक गहलोत सरकार की ओर से कोरोना महामारी में उठाए गए कदमों की तारीफ की। हालांकि राज्य में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने यह कहने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खुद को सीएम हाउस तक ही कोरोना काल में कैद कर लिया और कोरोना काल में गहलोत लोगों से नहीं मिले। लेकिन इन आरोपों के विपरीत अशोक गहलोत कोरोना काल में रोजाना वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूरे प्रदेश के प्रशासकीय तंत्र को नियंत्रण में रखा और प्रदेश की जनता की हिफाजत करने के साथ-साथ प्रदेश के विकास को गति देते रहे। लगातार मीटिंगों के चलते वे खुद भी कोरोना की चपेट में आ गए हालांकि जल्द ही स्वस्थ हो भी गए।
– मेडिकल के क्षेत्र में रोल मॉडल रहा प्रदेश
देखा जाए तो विगत 3 साल में राजस्थान मेडिकल के क्षेत्र में पूरे देश में रोल मॉडल के रूप में सामने आया है। मेडिकल के क्षेत्र में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना लोगों के लिए वरदान साबित हुई है। प्रदेश के सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज खोल दिए गए हैं। प्रदेश में बड़ी संख्या में सरकारी व निजी स्तर पर कॉलेज और विश्वविद्यालय खोले गए हैं। मेडिकल और शिक्षा दोनों ही क्षेत्रों में राजस्थान तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रदेश में देश विदेश के उद्योगपतियों को आकर्षित करने के लिए सरकार ने कई अहम योजनाएं शुरू की है जिसकी वजह से देश विदेश के निवेशक भी राजस्थान में अपनी इकाइयां स्थापित करने के लिए आगे आ रहे हैं। प्रदेश में औद्योगिक माहौल भी बनने लगा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अगले बजट में किसानों के लिए अलग से बजट पारित करने की बात कही है जिसके बाद किसान और खेती दोनों का बहुत ही अच्छे ढंग से विकास हो पाएगा। बेरोजगारों को रोजगार देने में भी प्रदेश सरकार ने अपनी पूरी कृतज्ञता दिखाई है। शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी संख्या में नौकरियां निकाली गई हैं।
-पार्टी में बगावत से प्रभावित नहीं हुआ विकास
इसमें कोई संदेह नहीं है अगर विगत डेढ़ साल में सरकार व पार्टी से जुड़े विधायक सरकार के खिलाफ बगावत नहीं करते तो निश्चित रूप से राजस्थान का विकास और भी अच्छे ढंग से हो पाता लेकिन बगावत से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गहरा धक्का भी लगा। काफी समय तक सरकार के अस्तित्व पर संकट के बादल भी मंडराते रहे जिसकी वजह से मंत्री-विधायकों को कई दिनों तक होटलों में रहना पड़ा। इस वजह से विकास बाधित होना लाजमी भी था लेकिन इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी अशोक गहलोत ने राजनीतिक कुशलता दिखाते हुए न केवल सरकार पर आए संकट का समाधान किया, बल्कि पार्टी को एकजुट भी किया। प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के चौमुखी विकास को तेजी से आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया है। सरकार ने विभिन्न विभागों में हजारों भर्तियां निकालकर युवाओं को रोजगार दिया है तो विकास कार्य भी तेजी से हो रहे है। शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग, कृषि, सड़क, पानी, बिजली जैसे क्षेत्रों में गहलोत सरकार ने खूब काम किए हैं। भले ही कोरोना की वजह से उद्योग धंधे ठप हो गए हों और प्रदेश सरकार की आय ठप हो गई हो लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश के विकास के लिए गहलोत ने जैसे तैसे धन एकत्रित कर विकास कार्य में कोई अड़चन नहीं आने दी।
– सत्ता-संगठन में समन्वय
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही मंत्रिमंडल का पुनर्गठन किया है। मंत्रियों को विभागों का कामकाज भी दे दिया गया है। बगावत में शामिल विधायकों को मंत्रिमण्डल में शामिल करके सत्ता व संगठन समन्वय स्थापित किया है। इससे पार्टी व सत्ता में चल रही खींचतान कम होगी। आगामी दो साल के कार्यकाल में सरकार जन घोषणा पत्र की शेष घोषणाओं को पूरी करने और प्रदेश के विकास पर ध्यान दे सकेगी। सरकार का दावा है कि जन घोषणा पत्र में किए गए 70 प्रतिशत वादे पूरे कर दिए गए हैं और शेष बचे वादों को आगामी 2 साल में हर हाल में पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी मंत्रियों को टारगेट दे दिया है। गहलोत ने मंत्रियों से साफ कहा है कि वे अपने-अपने विभागों में जन घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करने के लिए तेजी से प्रयास करें। जिला कलेक्टरों को भी जन घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करने के लिए पाबंद किया गया है। विगत तीन साल में कोरोना महामारी, आर्थिक तंगी, पार्टी में बगावत की कठिन परिस्थितियों के बावजूद भी अशोक गहलोत सरकार ने अपनी कुशल राजनीतिक चतुराई और कौशल से हर संकट का सामना किया और उसका निदान भी किया। जनता ने भी सरकार के कामकाज पर अपनी मुहर लगाई। इस वजह से विधानसभा उपचुनाव हो या पंचायत चुनाव, कांग्रेस ने सफलता प्राप्त की।