-बाल मुकुन्द ओझा
लिव इन रिलेशन को लेकर मीडिया में तरह तरह की खबरे छपती रहती है। कई प्रकरणों में तो न्यायालय ने भी अपनी राय व्यक्त की है। कई साल लिव इन में रहने के बाद कोर्ट का दरवाज़ा भी खटखटाया जा रहा है। कहीं लड़की द्वारा लड़के पर रेप के आरोप भी लगाए जा रहे है। एक मामले में तो कोर्ट ने लिव इन में रहने वाली एक लड़की द्वारा दर्ज़ रेप के आरोपों को ख़ारिज कर दिया और कहा कई साल साथ रहने के बाद इस प्रकार के आरोपों में कोई दम नहीं है। लिव
इन में रहते हुए विवाद होने पर कई दफा बलात्कार जैसे गंभीर आरोप भी लगा दिए जाते हैं। भारत के उच्चतम न्यायालय ने इस स्थिति से निपटने हेतु हाल ही के मामले में यह स्पष्ट किया है कि लिव इन में विवाद होने पर महिला बलात्कार जैसे संगीन आरोप नहीं लगा सकती। कहीं साथ रहने के तो कहीं विछोह के सैंकड़ों मामले देशभर के न्यायालयों में चल रहे है। कहीं हत्या के समाचारों से आमजन स्तब्ध है तो कहीं लड़के लड़कियां अपने परिवार से विद्रोह कर अपने लिए लिव इन रिलेशन का रास्ता चुन रहे है। ऐसे मामलों की भी कमी नहीं है जिनमें युवक और युवती धर्म परिवर्तन कर लिव इन में रह रहे है। कोई माता पिता की सहमति से लिव इन का रास्ता अख्तियार कर रहा है तो कहीं अभिभावकों के उग्र विरोध का सामना किया जा रहा है। कहने का तात्पर्य है लिव इन रिलेशन शिवजी की बारात का रूप ले रही है जिसमें भांति भांति के स्वांग रचकर नाना प्रकार के लोग शामिल हुए थे। मगर हाल ही घटित कुछ घटनाओं के बाद इस पर देशभर में चर्चाओं का बाजार गर्म है। लिव इन रिलेशनशिप का मतलब है जहां एक लड़का और लड़की बिना शादी के एक-दूसरे के साथ एक ही घर में रहते हैं। दोनों बिना शादी के किसी पति-पत्नी के तरह ही रहते हों। इस मुद्दे को लेकर पिछले कुछ सालों से देश में बहस भी छिड़ी हुई है। कुछ लोग इसे जायज कहते हैं, तो कुछ इसे नाजायज। लिव-इन रिलेशनशिप का चलन भले ही शुरू हो चुका है। लेकिन भारत जैसे देश में लिव-इन रिलेशनशिप को अभी अच्छी नजर से नहीं देखा जाता हैं। हम खुद को कितना ही आधुनिक समझे मगर आज भी हमारे देश में लिव-इन रिलेशनशिप को बुरी नजर से देखा जाता हैं। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अनुसार, दो बालिग लड़का व लड़की शादी किए बगैर भी अपनी मर्जी से पारिवारिक-वैवाहिक जीवन जी सकते हैं। लिव इन रिश्ते की कानूनी मान्यता के अनुसार दोनों पार्टनर के बीच यौन संबंध की पूरी आजादी है। अगर रिश्ते में रहने के दौरान बच्चा पैदा होता है, तो रिश्ते को लिव इन माना जाएगा। यौन संबंध बनाने और बच्चे पैदा करना दोनों की इच्छा पर निर्भर करता है। लिव इन विवादों से भरा एक अनूठा रिश्ता है जिसमे शादी की पुरानी मान्यता
को दरकिनार करते हुए जोड़े साथ रहते है और ठीक उसी तरह से अपनी जिम्मेदारी एक दूसरे के लिए निभाते है।
पाश्चात्य कल्चर को फॉलो करते हुए भारत में भी लिव-इन रिलेशनशपि आम हो गया है महानगरों में कई लोग शादी से पहले लिव-इन में रहते हैं। बड़े शहरों में लिव इन रिलेशन का कॉन्सेप्ट युवाओं को बहुत भा रहा है, मगर ऐसे रिश्तों का अंत सुखद ही हो जरूरी नहीं है। पाश्चात्य देशों की नकल पर बना एक विवादास्पद लेकिन आधुनिक लाइफ जीने के लिए यह एक अनूठा और दिलचस्प रिश्ता है जिसमें शादी की पुरानी मान्यता को दरकिनार करते हुए जोड़े साथ रहते है। लिव-इन रिलेशनशिप की शुरुआत महानगरों के शिक्षित और आर्थिक तौर पर स्वतंत्र ऐसे लोगों ने की थी जो विवाह संस्था की जकड़ से छुटकारा चाहते थे और उसी तरह से अपनी जिम्मेदारी एक दूसरे के लिए निभाते है जैसे वो शादी करने के बाद करते। इन संबंधों में खास बात यह है की वे किसी नैतिक दवाब का सामना नहीं करते। ऐसे लोग जब चाहे तभी एक
दुसरे से अलग हो सकते है। विवाह को हमारे देश भारत में धार्मिक भावना से जोड़कर देखते है जिसमे अपने जीवनसाथी के साथ जीवनभर के लिए वफादार रहने का प्रण लेते है और इसे इतना पवित्र और खास समझे जाने के पीछे महिला
की सुरक्षा निहित है। लिव इन की खिलाफत करने वाले कहते है ज्यादातर लिविंग रिलेशन उन युवाओं में पाए गए हैं जो घर से दूर रह रहे हैं। उनके परिवार वालों को इस रिश्ते की कोई खबर नहीं होती। लिविंग रिलेशन में रह रहे लड़के-लड़कियां अपने मां-बाप या घरवालों से अपने रिश्ते को छुपाकर रखते हैं। जब रिश्ता बिगाड़ की श्रेणी में आजाता है तब इसका भांडा फूटता है।

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