जयपुर। भ्रष्टाचार की शिकायत करने, हैड कांस्टेबल को 15०० रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कराने तथा सीआरपीसी की धारा 161 के अन्तर्गत बयान देने के बाद भी ट्रायल के दौरान समस्त तथ्यों को झुठलाने के मामले में एसीबी कोर्ट-1 में जज बलजीत सिंह ने न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए अभियुक्त संदीप कुमार सोनी उर्फ जाखड़ (38) निवासी वार्ड-19, पुरानी जेल के पास, झुंझुनूं को 3 माह के कठोर कारावास तथा 5०० रुपए के अर्थदण्ड की सजा सुनाई।
कोर्ट ने आदेश में कहा कि यह अक्सर देखने में आया है कि भ्रष्टाचार के प्रकरणों में अन्वीक्षा के दौरान परिवादी मुल्जिमों से मिलकर उनसे लालच वंश वित्तीय प्रलोभन की एवज में उन्हें बचाने की नीयत से उनके द्बारा एसीबी में की गई शिकायत से इंकार कर पक्षद्रोही हो जाते हैं जिससे गुनहगारों को सजा नहीं मिल पाती। साथ ही अदालत का बहुमूल्य समय भी नष्ट होता है। इस मामले में भी जानबूझकर इरादतन मिथ्या साक्ष्य देना प्रमाणित होता है।
संदीप सोनी ने एसीबी में जनवरी 2००7 को शिकायत दी थी कि दिसम्बर 2००6 में उसने दो मोटर साइकिल खरीदी थी। हरियाणा पुलिस के हैण्ड कांस्टेबल सुरेश चन्द्र लुहार (38) निवासी हथीन-मेवात तथा सिपाही विजय कुमार उसकी दुकान पर आए थ्ो। गिरफ्तारी नहीं करने की एवज में 5००० रुपए की रिश्वत मांगी गई। बाद में सौदा 2 हजार रुपए में हुआ था। एसीबी ने ट्रेप कार्यवाही कर हैड कांस्टेबल सुरेश चंद लुहार को 15०० रुपए लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया। बाद ट्रायल तत्कालीन एसीबी जज प्रभुलाल आमेटा ने सुरेश चन्द्र लुहार को 21 नवम्बर, 2०13 को बरी कर झूठे बयान देने वाले परिवादी संदीप सोनी के खिलाफ कार्यवाही करने के आदेश दिए.