नई दिल्ली। अमरीकन व्हीकल कंपनी जनरल मोटर्स ने करीब ढाई दशक बाद भारत से अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया है। कंपनी ने भारत में अब कारें नहीं बेचेंगी। बल्कि पुणे के तालेगांव प्लांट में कारों का उत्पादन करेगी और निर्यात के हिसाब से कारें बनाई जाएगी। कंपनी की कारों की देश में डिमाण्ड बहुत कम होने के चलते यह कदम उठाया गया है। पिछले साल कंपनी की मात्र पच्चीस हजार कारें ही बिकी, जो दुनिया में बिकी कारों का महज एक फीसदी है। देश में बीस बड़ी वाहन कंपनियां है।
इनमें से चार कंपनियों ने देश के 75 फीसदी बाजारों को नियंत्रण में ले रखा है। इनमें जनरल मोटर्स भी एक कंपनी थी, जो अब बाहर हो गई है। जनरल मोटर्स की तर्ज पर टॉप चार-पांच विदेशी कंपनियां भी भारत से अपना कारोबार समेटने की सोच रही है। यह सब बाजार में मंदी और कारों की खरीद कम होने के चलते किया जा रहा है। जनरल मोटर्स के बाद फोक्स-वैगन, फोर्ड व स्कोडा कंपनी भी कम होते बाजार और व्यापार के चलते अपने प्लांट को बंद करने की सोच रही है। कुछ ने तो शोरुम कम भी कर दिए हैं और वाहन बनाने का काम भी कम कर दिया है। जल्द ही ये कंपनियां भी भारत से अपना कारोबार समेट सकती है। एकाध बड़े प्लांट रखेंगी, ताकि डिमांड के अनुसार उनका उत्पादन और बेचान हो सके।