जयपुर। भले ही पुलिस का नारा है आमजन में विश्वास अपराधियों में डर मगर होता इसका उल्टा ही है अब इस केस में ही ले लिजिए एक लड़की जिसका पहले अपहरण किया और बाद उसके साथ चलती कार में छेड़खानी हुई। लड़की ने अपनी हिम्मत दिखाते हुए कार से छलांग लगा कर अपने आप को उन दरिंदों से बचाया मगर उसकी हिम्मत तोड़ने के लिए पुलिस ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। अपहरण व छेड़छाड की शिकार युवती ने पुलिस और मजिस्ट्रेट के सामने भले ही बयान दे दिया हो कि उसके बॉस व दोस्त ने उसका कार में अपहरण किया और छेड़छाड की। मगर पुलिस मानने को तैयार ही नहीं। मामले में मजिस्ट्रेट बयान होने के 14 दिन बाद सोमवार को जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर जगदीश ने मानसरोवर एसीपी को फाइल भेज कर पूछा है कि इसमें बताओ क्या करें? इधर मानसरोवर एसीपी देशराज यादव ने कहा कि अभी तक उन्होंने फाइल देखी ही नहीं है। अब सवाल उठता है मजिस्ट्रेट बयान होने के 16 दिन बाद भी कमिश्नरेट पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही तो पीड़ित पुलिस से कैसे न्याय की अपेक्षा करे।

आम आदमी को न्याय कहां मिलेगा। जवाब देने से जिम्मेदारी पूरी नहीं हो जाती है। पुलिस के इस रवैये से तो अपराधी बेखौफ हो जाते हें। उन्हें भी लगता है पुलिस के पास कहां टाईम है हमारे जैसे लोगों को पकड़ने का। और बेचारे पीड़ित तो जैसे इनके चक्कर काटने के लिए ही इस धरती पर आए हैं। अपराधियों में पुलिस का भय होना बहुत जरुरी है। उन्हेंं लगना चाहिए की पुलिस के हत्थे चढ़े तो हमारी खैर नहीं ताकि वे अपराध करने से बचे। वैसे भी हमारे समाज में महिलाएं अब अपनी आवाज उठाने के लिए शुरुआत कर चुकी है। और पुलिस को भी इस मुहिम में महिलाओं का साथ देना होगा। जिससे महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर निशिचन्त रहे। इस केस में भी लड़की ने हिम्मत दिखाते हुए उन आरोपियों का सामना निडरता से किया। और पुलिस तक पहुंची, मगर पुलिस ने क्या किया। अब तो आमजन में विश्वास जगाईए।

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