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Supreme Court to hear today in verdict right to privacy

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस याचिका पर सुनवाई की अनुमति दे दी है जिसमें केंद्र सरकार ने कहा था कि नोट बंदी के मामलों की सुनवाई सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में हो। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि नोटबंदी मामलों की सुनवाई अगर दूसरी अदालतों में होगी तो इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। न्यायमूर्ति ए आर दवे और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ ने केन्द्र की तरफ से पेश एटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी की दलील पर सहमति जता दी कि शीर्ष न्यायालय को छोड़ कर विभिन्न अदालतों में कार्रवाई से बहुत भ्रम पैदा होगा।
पीठ ने 15 नवंबर को नोटबंदी की सरकार की अधिसूचना पर स्थगन लगाने से इनकार कर दिया लेकिन सरकार से कहा कि वह आमजन की तकलीफों को कम करने के कदम बताए।
उच्चतम न्यायालय में दायर चार जनहित याचिकाओं में से दो दिल्ली आधारित वकीलों – विवेक नारायण शर्मा और संगम लाल पांडेय – ने दायर की हैं जबकि एस. मुथु कुमार और आदिल अलवी ने एक एक याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं के आरोप हैं कि अचानक किए गए फैसले से अव्यवस्था पैदा हो गई है और आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने मांग की है कि वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की अधिसूचना या तो निरस्त की जाए या कुछ समय के लिए टाली जाए।

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