Why not give reservation to ADAJ recruitment in 2016: High Court

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कोटा की विशेष न्यायालय की ओर से महिला की दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले में तीन अभियुक्तों को सुनाई गई फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मामला रेयर से रेएरेस्ट श्रेणी में नहीं आता है। ऐसे में अभियुक्तों को फांसी नहीं दी जा सकती। न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार की खंडपीठ ने यह आदेश कपिल, इमरान और टीपू की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।

अधिवक्ता ओपी झाझड़िया ने अदालत को बताया कि 6 दिसंबर 2012 को कोटा के उद्योग नगर थाना इलाके में गुड्डी बाई व उसके भांजे रोहित की घर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। प्रकरण में निचली अदालत ने 7 नवंबर 2017 को अभियुक्तों को दुष्कर्म, डकैती और हत्या का अभियुक्त मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। निचली अदालत ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर यह सजा दी थी।

घटना में अभियुक्तों के सिर के बाल मृतका के हाथ में पाए गए। इसके अलावा अभियुक्तों के पास मिले कारतूस और मृतका के शरीर में मिले कारतूस एक समान ही मिले। याचिका में कहा गया ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जिससे साबित हो कि अभियुक्तों ने मृतका से रेप किया हो। उसके अलावा एफएसएल रिपोर्ट भी अभियोजन पक्ष के पक्ष में नहीं है। ऐसे में याचिकाकर्ताओं को दी गई फांसी की सजा के आदेश को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अभियुक्तों की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है।

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