नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि उसके सामने आयी ढेरों याचिकाओं में राष्ट्रीय राजधानी में अनधिकृत निर्माण के लगाये गये आरोपों का सही पाया जाना नगर निगमों द्वारा अपने कर्तव्य के निर्वहन में भारी लापरवाही दर्शाता है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने एक पंजीकृत सोसायटी की याचिका र सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। सोसायटी ने याचिका में पूर्वी दिल्ली में अनधिकृत निर्माणों की ओर इशारा किया है।
पीठ ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) को उसके अंतर्गत आने वाले अपने क्षेत्रों में हुए अवैध निर्माणों का सर्वेक्षण कराने और कानून के अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया। पीठ ने इस संबंध में उसके द्वारा उठाये गये कदमों पर स्थिति रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई अगले साल चार अप्रैल को होगी। न्यायालय ने कहा कि दिल्ली नगर निगम अधिनयम, 1957 के प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करना नगर निगमों की महती जिम्मेदारी है।
पीठ ने कहा, ‘‘वाकई,यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस अदालत में अनिधकृत निर्माणों की ओर इशारा करने वाली रिट याचिकाओं की बाढ़ आ गयी हैं । निरपवाद रुप से सभी शिकायतें नगर निगमों की स्थिति रिपोर्टों में सही पायी जा रही है । ये सारी बातें नगर निगमों के अधिकारियों की गंभीर लापरवाही दर्शाती हैं। ’’