जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि अदालती आदेश की पालना में सेंट्रल जेल के निरीक्षण के लिए नॉन ऑफिशियल विजिटर्स की नियुक्ति की जाए। अदालत ने कहा कि 28 मई तक यदि नियुक्ति नहीं होती है तो गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अदालत में पेश हो। अदालत ने चेतावनी दी है कि एसीएस पर अवमानना की कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है। न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की ओर से प्रपोजल पेश किया गया कि जयपुर जेल में लगे मोबाइल जैमर को जोधपुर, बीकानेर और भरतपुर जेल में शिफ्ट किया जाए। जिससे इन जैमर की कार्य क्षमता की जानकारी मिल सके। वहीं न्याय मित्र प्रतीक कासलीवाल ने कहा कि अदालत की ओर से बार-बार आदेश देने के बावजूद भी राज्य सरकार ने अब तक जेलों के निरीक्षण के लिए नॉन ऑफिशियल विजिटर्स की नियुक्ति नहीं की है। सरकार अदालती आदेशों को हल्के में ले रही है। इस पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने कहा कि 28 मई तक अदालती आदेशों की पालना में नॉन ऑफिशियल विजिटर्स नियुक्त किए जाए। ऐसा नहीं करने पर अदालत ने एससीएस गृह को अदालत में पेश होने के निर्देश दिए हैं।