नई दिल्ली। अमरीका ने गुरुवार देर रात अफगानिस्तान-पाकिस्तान की सीमा पर आईएस आतंकियों पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई कर समूचे विश्व को चौंका दिया। अमरीका ने इस सीमा पर बनी उन गुफाओं पर सबसे बड़ा बम गिराया, जहां आईएस आतंकियों ने पनाह ले रखी थी। हमले में इस बम की मारक क्षमता इतनी खतरनाक है कि उसके प्रभाव से सवा तीन किलोमीटर के दायरे में सब कुछ खाक हो सकता है। ऐसे में गुफाओं में पनाह ले रखे सैकड़ों आतंकियों की मारे जाने की खबर है। हालांकि कितने लोग इस हमले में मारे गए हैं। इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है। अमरीकी रक्षा सूत्रों को सूचना मिली थी कि पाकिस्तान सीमा के नजदीक गुफाओं में आईएसआईएस आतंकी संगठन से करीब पांच-सात हजार आतंकी छुपे हुए हैं। ऐसे में रक्षा अफसरों की बैठक में गुफाओं पर हमले की योजना बनी, जिसमें तय हुआ कि इन गुफाओं को ढहाने के लिए मदर ऑफ ऑल बम के नाम से मशहूर दस हजार किलो वजनी नॉन न्यूक्लियर बम जीयूबी-43 गिराने का फैसला किया। इस बारे में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को अवगत कराया। ट्रम्प से हरी झंडी मिलने के बाद कुछ देर में ही बम को तय टारगेट पर छोड़ दिया। जैसे ही बम गिरा तो एक आग का गोला में आकाश में उड़ता नजर आया और देखते ही देखते आस-पास का क्षेत्र बम धमाके से हिल गया। बम धमाका कंपन पचास किलोमीटर दायरे तक सुना गया और आग का गोला देखा गया। बम गिरने से गुफाओं व आतंकियों को कितना नुकसान हुआ है, इस बारे में पता नहीं लग पाया है, लेकिन बम की मारक क्षमता को देखते हुए लगता है कि शायद ही जहां बम गिरा है, उसके तीन किलोमीटर क्षेत्र में कुछ बच पाया होगा। प्रारंभिक सूचना के अनुसार करीब 35 आतंकी मारे जाने की खबरें आई है। इनमें से आईएसआईएस में शामिल होने गए कुछ भारतीयों के मारे जाने की सूचना है। ये भारतीय केरल से काफी समय से लापता बताए जाते हैं। मरने वाले आतंकियों में एक केरल निवासी मुर्शीद के भी मारे जाने की पुष्टि हुई है। काफी समय से यह केरल से लापता था और आईएस में शामिल होने के लिए भारत छोड़ा था।
– पहली बार मदर ऑफ ऑल बम का इस्तेमाल
पेंटागन प्रवक्ता के मुताबिक आतंकियों गुफाओं पर गिराए गए मदर ऑफ ऑल बम का प्रयोग पहली बार दुनिया में किया गया है। इसे अमेरिकी फायटर जेट एमसी-130 से गिराया गया। पूरी दुनिया में इस तरह के करीब सिर्फ 15 ही बम है। इस बम का व्यापक असर देखने को मिलता है। यह पूरी तरह जीपीएस सिस्टम से संचालित होता है। जिससे इसके निशाना चूकने का कोई सवाल ही खड़ा नहीं होता। इस बम को बनाने की लागत करीब दो हजार करोड़ रुपए आती है। पेंटागन ने बताया कि बम को नानगरहार प्रांत के अचिन जिले में स्थित सुरंगनुमा इमारत पर गिराया गया। गिरा गया बम गैर परमाणु बम था, लेकिन उसकी मारक क्षमता जापान के हिरोशिमा व नागासाकी पर गिराए गए बमों से कम नहीं थी। इधर अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने बम गिराए जाने को लेकर अमेरिका की कड़े शब्दों में आलोचना की। गौरतलब है कि अमेरिका ने वर्ष 2003 में इराक युद्ध शुरू होने से पहले बम का परीक्षण किया था। बम गिराए जाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इसकी उन्होंने ही इजाजत दी थी। मिशन को सफल बताते हुए कहा कि उन्हें अपनी सेना पर गर्व है।
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