
नकवी ने कहा कि जमशेतजी टाटा का भारत को उद्योग क्षेत्र में अपने पैरों पर खड़ा करने में योगदान, दादाभाई नौरोजी और भीकाजी कामा द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश की सेवा, होमी भाभा का भारत को एटॉमिक शक्ति बनाने में योगदान भारत के समृद्ध इतिहास का अभिन्न भाग है। फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के सैन्य योगदान का भी अपना महत्व है। चाहे उद्योग हो, सेना हो, कानूनी पेशा हो, वास्तुकला हो या सिविल सेवाएं हो, पारसी समुदाय ने हर जगह शीर्ष पर पहुंचने की क्षमता दिखाई है। नकवी ने कहा कि पारसी समुदाय की घटती जनसँख्या चिंता का विषय है। भारत में पारसी समुदाय की घटती जनसँख्या को रोकने के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय “जियो पारसी” योजना चला रहा है। “जियो पारसी पब्लिसिटी फेज-1” की शुरुआत 2013 में की गयी थी। यह योजना पारसी समुदाय की घटती जनसँख्या के प्रति जागरूकता लाने में सफल हो रही है। “जियो पारसी” योजना के माध्यम से 101 पारसी समुदाय के बच्चों का जन्म हुआ है। इस योजना का उद्देश्य वैज्ञानिक नवाचार और ढांचागत हस्तक्षेप अपनाकर पारसी आबादी के गिरते रुख को उलटना और भारत में पारसियों की जनसँख्या बढ़ाना है। इस योजना के तहत मंत्रालय द्वारा परामर्श एवं चिकित्सा सहायता मुहैय्या कराई जा रही है। नकवी ने कहा कि “जियो पारसी” योजना की सफलता में पारज़ोर फाउंडेशन, बॉम्बे पारसी पंचायत, TISS मुंबई और फेडरेशन ऑफ जोरास्ट्रियन अंजुमंस ऑफ इंडिया की महत्वूर्ण भूमिका है। ये संगठन सेमिनार, वर्कशॉप, मीडिया, जागरूकता अभियान आदि के माध्यम से इस योजना का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।