नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि लोक हित के मुद्दे को उठाने वाले व्यक्ति की जान को संकट में नहीं डाला जा सकता। एक बुजुर्ग महिला सहित दो लोगों पर हमले के संदर्भ में उच्च न्यायालय ने यह बात कही। महिला ने राष्ट्रीय राजधानी में अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है। दोनों ने अपनी सुरक्षा को लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। इसके बाद ये मामले प्रकाश में आए। दोनों ने अपनी अपनी याचिकाओं के कारण अपनी जान को लेकर खतरे की आशंका जाहिर की है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति द्वय गीता मित्तल और सी हरिशंकर की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘लोक हित के मुद्दे को अदालत के संज्ञान में लाने मात्र के लिए याचिकाकर्ताओं की जान को खतरे में नहीं डाला जा सकता है।’’ उन्होंने अलग-अलग आदेशों के जरिये दिल्ली पुलिस को दोनों को सुरक्षा उपलब्ध कराने को कहा।
गैर सरकारी संगठन पारदर्शिता पब्लिक वेलफेयर फाउंडेशन के महासचिव एच डी निझावन ने पीठ के समक्ष दावा किया कि एक नवंबर की शाम को उन पर उनके ही आवास के सामने कुछ लोगों ने हमला किया। एनजीओ ने शहर के विभिन्न स्थानों में अनधिकृत निर्माणों को लेकर कई याचिकाएं दायर की हैं। याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि कुछ अनधिकृत इमारतें नगर निगमों और दिल्ली विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से बनाई गई हैं। महिला याचिकाकर्ता पर भी हमला हुआ और उसे पीठ ने सुरक्षा मुहैया कराई है। उन्होंने दक्षिण दिल्ली के नेबसराय गांव के समीप वन भूमि में अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की है।