अजमेर, राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 806 वें उर्स का आगाज रजब के महीने का चांद आज या कल दिखने के साथ हो जाएगा। इस उर्स में हिस्सा लेने के लिए देश-विदेश से जायरीनों ने अजमेर पहुंचना शुरू कर दिया है। अजमेर के जिला कलेक्टर एवं जिलाधिकारी गौरव गोयल के अनुसार उर्स में पाकिस्तान से जायरीनों के आने की सूचना नहीं है। उर्स की शुरूआत बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ने के साथ ही शुरू हो गई है, लेकिन (इस्लामी कलेंडर के सातवें महीने) रजब का चांद दिखने के बाद ख्वाजा साहब के वंशज एवं सज्जादानशीन दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान की अध्यक्षता में शुरू होने की औपचारिक घोषणा की जाएगी।

जिला प्रशासन ने उर्स के दौरान कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने एवं उर्स में आने वाले जायरिनों (श्रद्वालु) की सुविधाओं के लिए सभी इंतजाम कर लिए हैं। रेलवे और रोडवेज प्रशासन जायरिनों के लिए विशेष रेल सेवा और बस सेवाएं संचालित करेगा। दरगाह दीवान खान ने बताया, ‘‘आज या कल चांद दिखने के बाद दरगाह स्थित महफिल खाने में उर्स की पहली महफिल होगी। महफिल खाने में मेरी मौजदूगी में आयोजित यह रस्म उर्स में होने वाली प्रमुख रस्मों में से एक है।’’ उन्होंने बताया, ‘‘कव्वाल फारसी और हिन्दी में सूफीमत के प्रवर्तकों द्वारा लिखे गए कलाम पेश करेंगे। इस अवसर पर देश की विभिन्न खानकाहों के सज्जादानशीन, सूफी, मशायख सहित जायरिन मौजूद रहेंगे।’’ उर्स की महफिल के दौरान मध्य रात्रि को सज्जादानशीन दीवान ख्वाजा साहब मजार पर आयोजित होने वाली गुस्ल की प्रमुख रस्म करने आस्ताना शरीफ में जाएंगे, जहां वह मजार शरीफ को केवड़ा और गुलाब जल से गुस्ल देंगे और चंदन पेश करेंगे। गुस्ल (स्नान) की यह रस्म रजब (इस्लामी कलंडर का सातवां महीना) की पांच तारीख तक जारी रहेगी। इसी प्रकार महफिल खाने में महफिले समा रजब की छह तारीख तक बदस्तूर जारी रहेगी।

दरगाह सूत्रों के अनुसार पांच रजब को खान की अध्यक्षता में खानकाह शरीफ (ख्वाजा साहब के जीवन काल में उनके बैठने का स्थान) में कदीमी महफिले समा होगी। इसमें देशभर की विभिन्न प्रमुख दरगाहों के सज्जादानशीन एवं धर्म गुरू भाग लेंगे। महफिल के बाद यहां विशेष दुआ होगी।

 

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